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फिल्म प्रमाणन बोर्ड की मानसिकता पुरुषवादी : अलंकृता

मुंबई | फिल्म ‘लिपस्टिक अंडर माय बुर्का’ की निर्देशक अलंकृता श्रीवास्तव ने कहा कि उनकी फिल्म का विषय महिला केंद्रित है, इसलिए केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) ने उसे रोक दिया है। यह बोर्ड पुरुषवादी मानसिकता से ग्रस्त है। उन्होंने कहा कि सीबीएफसी प्रगतिशील भारतीय दर्शकों के बड़े वर्ग का प्रतिनिधित्व नहीं करता। अलंकृता ने मुंबई में आईएएनएस से कहा, “मुझे लगता है कि सीबीएफसी अभी भी अंधकारमय युग में जी रहा है और वह हमारे प्रगतिशील भारतीय दर्शकों का प्रतिनिधित्व नहीं करता। मुझे लगता है कि उनकी मानसिकता पुरुषवादी है।”
निर्देशक ने कहा, “यह कहकर फिल्म पर रोक लगाना कि उसे महिला के दृष्टिकोण से दर्शाया गया है, साफ दर्शाता है कि वे हमारे समाज की महिलाओं की आवाज को कितने वैध तरीके से दबा रहे हैं।”
फिल्म ‘लिपस्टिक अंडर माय बुर्का’ विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोहों में प्रदर्शित हो चुकी है और उसे कई पुरस्कार भी मिले हैं।
अलंकृता ने कहा, “उन्हें फिल्म की यौन सामग्री पर आपत्ति नहीं है, क्योंकि वे उन सभी फिल्मों का प्रमाणीकरण कर रहे हैं, जहां महिलाओं को उपभोग की वस्तु के रूप में पेश किया जा रहा है, जिनमें आइटम गीत हैं, जो महिलाओं के शरीर के विभिन्न हिस्सों को बेहद भद्दे ढंग से दर्शाते हैं और जो कहानी से मेल नहीं खाता। वे केवल पुरुष कल्पना को संतुष्ट करने वाली सामग्री के लिए ही अनुमति देते हैं।”
फिल्म को ऑनलाइन रिलीज करने के विकल्प के बारे में पूछने पर अलंकृता ने कहा, “बतौर फिल्मकार मुझे फिल्म की रिलीज के लिए डिजिटल और थियेटर माध्यम में से एक चुनने का विकल्प मिलना चाहिए। अब, अगर मैं फिल्म को ऑनलाइन रिलीज करूंगी जो यह इसलिए होगा, क्योंकि मेरे पास कोई अन्य विकल्प नहीं है, क्योंकि सीबीएफसी ने इसे थियेटर में रिलीज करने की मंजूरी नहीं दी।”
केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के अध्यक्ष पहलाज निहलाणी के इस कदम की प्रख्यात निर्देशक गोविंद निहलाणी, श्याम बेनेगल व फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े 50 से अधिक लोगों ने निंदा की है।

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