अदालत की फटकार के बावजूद डॉक्टरों का आंदोलन जारी
मुंबई | बम्बई उच्च न्यायालय से मिली कड़ी फटकार के बावजूद महाराष्ट्र के सरकारी अस्पतालों के करीब 3,000 डॉक्टरों का सामूहिक अवकाश आंदोलन तीसरे दिन यानी बुधवार को भी जारी है। महाराष्ट्र एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स (एमएआरडी) के पदाधिकारियों ने कहा कि अन्य सरकारी डॉक्टरों द्वारा भी आंदोलन को समर्थन देने और सरकार द्वारा हड़तालियों को नोटिस जारी करने के बीच गरीबों के लिए स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं।
इसी बीच राज्य सरकार ने रेजिडेंट डॉक्टरों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। राज्य के चिकित्सा शिक्षा मंत्री गिरीश महाजन ने कड़ी चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर रेजिडेंट डॉक्टर बुधवार शाम तक काम पर नहीं लौटे तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है। भारतीय मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने चिकित्सकों का समर्थन किया है। आईएमए ने बुधवार को आंदोलनकारियों की ‘डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा अधिनियम, 2010’ लागू किए जाने और उच्च न्यायालय के निर्देश के अनुसार सुरक्षा मुहैया कराने की मांग के प्रति समर्थन जाहिर किया।
आईएमए अध्यक्ष सागर मुंदादा ने कहा कि एसोसिएशन के महाराष्ट्र के 45,000 सदस्य और भारत के दो लाख से भी अधिक सदस्य आंदोलनकारी डॉक्टरों के खिलाफ किसी भी प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई का विरोध करते हैं। इससे पहले सामूहिक अवकाश जारी करने को लेकर बम्बई उच्च न्यायालय की फटकार के बाद मंगलवार रात को एमएआरडी के पदाधिकारियों ने कहा था कि संगठन के सदस्य मंगलवार रात या बुधवार सुबह तक काम पर लौट जाएंगे।
एमएआरडी के एक प्रवक्ता ने अदालत के आदेश के बाद आईएएनएस से कहा था, “हमने हमेशा अदालत के आदेशों का पालन किया है और सभी रेजीडेंट चिकित्सकों से जल्द से जल्द ड्यूटी पर लौटने की अपील करते हैं।” लेकिन, एमएआरडी पदाधिकारियों की अपील का असर नहीं हुआ और रेजिडेंट डॉक्टरों ने अपना आंदोलन बुधवार को भी जारी रखा।
मरीजों के रिश्तेदारों द्वारा लगातार हमलों के विरोध में जारी एमएआडी के रेजिडेंट डॉक्टरों के सामूहिक अवकाश के कारण सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं।एमएआरडी अध्यक्ष यशोवर्धान काबरा ने कहा कि डॉक्टर हाल ही में खुद पर हमलों को बढ़ने से बेहद दुखी हैं और ऐसी स्थिति में काम करना मुश्किल है, जिसमें उनकी जान को जोखिम हो।