नारदा स्टिंग की सीबीआई जांच के आदेश
कोलकाता | कलकत्ता उच्च न्यायालय ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को नारदा स्टिंग ऑपरेशन की प्राथमिक जांच करने का आदेश दिया। नारदा स्टिंग में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के प्रमुख नेता जाहिर तौर पर नोटों के बंडल लेते कैमरे में कैद कर लिए गए थे। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति निशिता म्हात्रे और न्यायमूर्ति तापाव्रत चक्रवर्ती की सदस्यता वाली पीठ ने सीबीआई को 72 घंटे के भीतर अपनी प्राथमिक जांच पूरी करने का निर्देश दिया है।
अदालत ने सीबीआई को मामले में प्राथमिकी दर्ज करने की जरूरत महसूस होने पर ऐसा करने का भी निर्देश दिया है। खंडपीठ ने राज्य की पुलिस को एक कठपुतली बताते हुए कहा कि समाज मुख्यतौर पर मामले की पूरी जांच चाहता है। पीठ ने स्टिंग ऑपरेशन के लिए इस्तेमाल किए गए सभी उपकरण 24 घंटे के भीतर अपने कब्जे में करने को कहा, जो फिलहाल अदालत के कब्जे में हैं।
न्यायाधीशों ने 24 घंटे के भीतर भारतीय पुलिस सेवा के शीर्ष अधिकारी एस.एम.एच.मिर्जा के खिलाफ अनुशासानात्मक जांच करने का आदेश भी दिया। वीडियो फूटेज में मिर्जा भी दिखाई दिए थे और वेबसाइट ने दावा किया था कि उन्होंने खुद को ‘तृणमूल कांग्रेस के लिए धनराशि एकत्रित करने वाला एक प्रमुख व्यक्ति’ बताया था।
अदालत ने मामले की स्वतंत्र जांच संबंधी तीन जनहित याचिकाएं सुनने के बाद यह फैसला दिया।
नारदा स्टिंग मामला मार्च 2016 में सामने आया था। वेब पोर्टल नारदा न्यूज ने कई वीडियो फूटेज अपलोड किए थे, जिनमें कथित रूप से तृणमूल कांग्रेस के कई कद्दावर नेता किसी फर्जी कंपनी को लाभ पहुंचाने के बदले पैसे लेते दिखाई दे रहे थे।