महाभारत काल के अक्षय वट वृक्ष का हुआ कायाकल्प
देहरादून। कुरुक्षेत्र के अक्षय वट वृक्ष के रखरखाव का कार्य वन अनुसंधान संस्थान ने खत्म कर दिया है। आपको बता दूं की यह वही बरगद का पेड़ है जिसके संबंध में मान्यता रही है कि महाभारत युद्ध के दौरान भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का उपदेश इसी वट वृक्ष के नीचे अर्जुन को दिया था। देश भर से श्रद्धालु इस पेड़ के दर्शन के लिए आते हैं। कालांतर में इस पेड़ का अस्तित्व खतरे में पड़ गया था। बाद में एफआरआई के विज्ञानियों ने इसे ट्रीटमेंट देकर दुरुस्त कर दिया है। जिसके बाद वृक्ष में बहुत अधिक बदलाव आये हैं।
ज्योतिसर धाम स्थित अक्षय वट वृक्ष की दशा सुधारने के लिए कुरुक्षेत्र विकास प्राधिकरण ने अगस्त, 2014 में एफआरआई को प्रस्ताव दिया था। संस्थान के विज्ञानियों ने वर्ष 2015 से इस पर काम शुरू किया। इस दौरान वट वृक्ष की लटों को ट्रेंड करके जमीन में दबाया गया। इससे ये तने का रूप धारण कर लेंगी और वृक्ष में मजबूती आ जाएगी।
इसी तरह के ट्रीटमेंट से कोलाकाता बोटेनिकल गार्डन स्थित एशिया के सबसे बड़े वट वृक्ष को बचाया गया था। एफआरआई के समूह समन्वयक अनुसंधान डा. एनएसके हर्ष ने बताया कि लटों के तना बन जाने से पेड़ मजबूत हो जाता है। मुख्य तने के खोखला हो जाने पर इसे ठीक नहीं किया जा सकता, लेकिन लटें जब तना बन जाती हैं तो पेड़ का अस्तित्व बचा रहता है। साथ ही पेड़ हरा भरा भी रहता है। यह विधी कई बार आस्था से जुड़े वृक्ष को बचाने में अपनायी गयी। जो काफी कारगर भी साबित हुई।