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सैफुल्ला के आईएस से संबंध नहीं, पिता ने शव लेने से किया इनकार

लखनऊ/कानपुर | उत्तर प्रदेश पुलिस ने कहा कि आतंकवाद-रोधी अभियान में मारे गए संदिग्ध आंतकवादी कानपुर निवासी सैफुल्ला और गिरफ्तार किए गए उसके पांच सहयोगियों के आतंकावदी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) से संबंध होने के सबूत नहीं मिले हैं। उधर कानपुर में सैफुल्ला के पिता ने देशद्रोही बताते हुए अपने बेटे का शव लेने से इनकार कर दिया है।
SaifullahCaptureउत्तर प्रदेश पुलिस की ओर से जारी किए गए आधिकारिक बयान में कहा गया है कि सैफुल्ला और पांच अन्य संदिग्ध खुद से आतंकवादी बने थे और उनकी योजना लखनऊ में एक पृथक आतंकवादी संगठन ‘इस्लामिक स्टेट खोरासान’ गठित करने की थी। उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश पुलिस के आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) ने राजधानी के ठाकुरगंज इलाके में स्थित हॉजी कॉलोनी के एक घर में छिपे कानपुर के मनोहर नगर के निवासी सैफुल्ला को 11 घंटे तक चले अभियान में मुठभेड़ के बाद बुधवार को अल-सुबह 3.0 बजे मार गिराया।
एटीएस के महानिरीक्षक असीम अरुण ने सैफुल्ला के मारे जाने की पुष्टि की। उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) दलजीत चौधरी ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “सैफुल्ला और उसके पांचों सहयोगियों खुद से आतंकवाद का रास्ता अपनाया था। उन्हें विदेश से आर्थिक मदद नहीं मिल रही थी। उन्होंने अपनी निजी संपत्ति से सारे इंतजाम किए। वे यहां एक आतंकवादी संगठन आईएस खुरासान बनाना चाहते थे और कई जगहों पर आतंकवादी वारदात की साजिश रच रहे थे।”
अधिकारी ने बताया कि मध्य प्रदेश में मंगलवार को एक ट्रेन में हुए बम विस्फोट के बाद उन्हें विभिन्न खुफिया विभागों से लखनऊ, कानपुर और इटावा में संदिग्ध आतंकवादियों की मौजूदगी की सूचना मिली थी। दो संदिग्ध आतंकवादियों मोहम्मद फैसल खान और फखरे आलम को क्रमश: उनके गृहनगर कानपुर और इटावा से गिरफ्तार किया गया।
फैसल का बड़ा भाई मोहम्मद इमरान को भी एक अलग अभियान के दौरान उन्नाव से गिरफ्तार किया गया और एटीएस ने उनसे पूछताछ शुरू कर दी है। अधिकारी ने बताया, “एटीएस द्वारा कानपुर से ही गिरफ्तार किए गए दो अन्य संदिग्धों को भीड़ एटीएस के चंगुल से छुड़ाने में सफल रही, लेकिन हमें उनके घरों का पता है और हम जल्द ही उन्हें फिर से हिरासत में ले लेंगे।”
उन्होंने बताया कि आतिश मुजफ्फर, दानिश अख्तर और सैयद मीर हुसैन को मध्य प्रदेश पुलिस ने गिरफ्तार किया है। मुजफ्फर को इस गुट का सरगना माना जा रहा है। सैफुल्ला के पिता सरताज ने यहां पत्रकारों से कहा कि उनका बेटा काम-धाम न करने को लेकर डांट पड़ने के बाद दो-ढाई महीने पहले घर छोड़कर चला गया था।
सरताज ने बताया कि जिस दिन उनका बेटा घर छोड़कर गया, उससे एक दिन पहले ही उन्होंने उसकी पिटाई की थी। सैफुल्ला ने एक सप्ताह पहले अपने परिवार से संपर्क किया था और बताया था कि वह नौकरी करने सऊदी अरब जा रहा है। सरताज ने पत्रकारों से कहा, “उसने जो किया वह देशहित में नहीं था। हम इस तरह देश से गद्दारी करने वाले का शव नहीं लेंगे। एक देशद्रोही मेरा बेटा नहीं हो सकता। हम भारतीय हैं, हमारा जन्म भारत में हुआ है, हमारे पूर्वजों का भी जन्म भारत में ही हुआ था। इस देश के खिलाफ काम करने वाला इंसान मेरा बेटा नहीं हो सकता।”
जब उनसे पूछा गया कि घर छोड़कर जाने के बाद क्या सैफुल्ला ने परिवार वालों से बात की थी, उन्होंने बताया, “बीते सोमवार को उसकी कॉल आई थी और उसने बताया था कि उसे सऊदी के लिए वीजा मिल गया है। मैंने कहा था जो मर्जी हो करो।” सैफुल्ला के बड़े भाई खालिद ने बताया कि सैफुल्ला ने परिवार वालों को बताया था कि वह सऊदी अरब का वीजा हासिल करने मुंबई जा रहा है।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की एक टीम घटनास्थल पर पहुंची और सैफुल्ला के कमरे में रखा सामान अपने कब्जे में कर मामले में जांच शुरू कर दी है।

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