एक और सैनिक ने सहायक प्रणाली व भोजन का मुद्दा उठाया
नई दिल्ली | सेना के एक और जवान ने सेना में ‘सहायक’ प्रणाली तथा भोजन की खराब गुणवत्ता की शिकायत सोशल मीडिया पर की है। आर्मी मेडिकल कोर के सिंधव जोगीदास ने कहा कि वह अपनी शिकायत इसलिए सार्वजनिक कर रहे हैं, क्योंकि उन्होंने इसे प्रधानमंत्री कार्यालय तथा रक्षा मंत्रालय को भी भेजा था, लेकिन इस पर कोई संज्ञान नहीं लिया गया।
जोगीदास ने कहा, “मैं देश की जनता तथा सरकार से माफी मांगता हूं क्योंकि मेरे वीडियो से आपकी भावनाएं आहत होंगी। हर जवान चाहता है कि सेना का आदर सर्वोपरि रहे।’ उन्होंने कहा, “हम कब तक बर्दाश्त कर सकते हैं? कई तरह की गलत चीजें हो रही हैं।”
‘सहायक’ प्रणाली का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जो जवान अधिकारियों के घर पर तैनात हैं, उनसे अफसर नौकरों की तरह व्यवहार करते हैं। जवान ने कहा, “जवान को आदेशों का पालन करना पड़ता है क्योंकि जो उनके खिलाफ बोलता है, उसका उत्पीड़न होता है।”
उन्होंने कहा कि शिकायत करने के लिए वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यालय तथा रक्षा मंत्री के कार्यालय गए थे। कुछ दिनों बाद वह दोबारा प्रधानमंत्री कार्यालय गए।
जोगीदास ने कहा, “मैं नहीं चाहता था कि सेना से जुड़े मुद्दे सोशल मीडिया पर आएं।” उन्होंने कहा, “जब जवाब आया, तो उन्होंने मुझ पर अनुशासन भंग करने का मामला दर्ज कर दिया तथा दो कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी बिठा दी। मुझे एक साल तक परेशान किया गया लेकिन मैं चुप रहा।”
जोगीदास ने कहा, “मैंने दोबारा छुट्टी ली और फिर दिल्ली आया। मैं सेना भवन (सेना मुख्यालय) गया, लेकिन किसी ने मुझे अंदर नहीं जाने दिया। फिर मैंने सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत को खत लिखा, जिसका कोई जवाब नहीं आया।”
उन्होंने कहा, “अंतत: मेरे खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर दिया क्योंकि मैंने अपने अधिकारियों की शिकायत की थी। मुझे पहले ही दो बार दंडित किया जा चुका है। इस बार मेरा 14 दिनों का वेतन काट लिया गया।” नाराज जवान ने कहा, “अगर हम ड्यूटी करने से मना करें या किसी नियम का उल्लंघन करें, तो हमें तत्काल दंडित किया जाता है। लेकिन जब अधिकारी नियम तोड़ते हैं तो उनके लिए कोई कायदा-कानून नहीं है।”
जवान ने कहा, “कुछ अधिकारियों की वजह से सेना की छवि धूमिल होती है।” उन्होंने कहा, “यह दुखद है कि दुश्मनों से लड़ने के बजाय हम फोर्स में आपस में ही लड़ते हैं। यह सही है कि हम अपनी ड्यूटी के लिए वेतन लेते हैं, लेकिन बदले में हम अपने जीवन का महत्वपूर्ण साल सेना को दे रहे होते हैं।” जोगीदास ने कहा, “इस लड़ाई में कई साथी एकजुट हैं औैर हम समय-समय पर अपनी आवाज उठाते रहे हैं।”
उन्होंने कहा, “लेकिन, हमारी कोई नहीं सुनता। मैं पूछना चाहता हूं कि क्या सरकार वास्तव में इन तथ्यों से अनभिज्ञ है या हमें केवल नजरअंदाज किया जा रहा है।” जवान ने यह भी आरोप लगाया कि सैनिकों को जो खाना दिया जाता है, उसकी गुणवत्ता बेहद खराब होती है। उन्होंने कहा, “कई यूनिट में वे केवल जिंदा रहने लायक खाना देते हैं। सबसे सस्ती सब्जियां, फल तथा बेहद खराब गुणवत्ता का खाना दिया जाता है। लेकिन मेरे पास कोई प्रमाण नहीं है, इसलिए मैं इस पर ज्यादा कुछ नहीं बोलूंगा।”
‘सहायक’ प्रणाली की आलोचना करने वाले लांस नायक रॉय मैथ्यू का शव महाराष्ट्र कैंटोनमेंट के एक बैरक में 3 मार्च को पाए जाने के बाद यह वीडियो सामने आया है।
सेना ने कहा है कि मैथ्यू ने ‘खुदकुशी’ स्टिंग ऑपरेशन के बाद हुई घटनाओं के परिणामस्वरूप की होगी। जनवरी महीने में एक अन्य जवान लांस नायक यज्ञ प्रताप ने एक वीडियो में अधिकारियों पर शोषण करने का आरोप लगाया था।