‘शशिकला को सरकार बनाने के लिए आंखें बंद कर न बुलाएं राज्यपाल’
चेन्नई | पट्टाली मक्कल कॉची (पीएमके) ने कहा कि तमिलनाडु के राज्यपाल सी. विद्यासागर राव को राज्य में सराकर गठन के लिए ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) की महासचिव वी. के. शशिकला को आंखें मूंद कर आमंत्रित नहीं करना चाहिए। पीएमके के प्रवक्ता और वकील एन. विनोबा भूपति ने कहा, “भारतीय संविधान निर्माताओं ने अनुच्छेद 164 का प्रावधान किया, ताकि कोई भी क्षमतावान व लोकप्रिय व्यक्ति पहले मंत्री बन सके और फिर छह माह के भीतर चुनाव लड़कर विधानसभा या विधानपरिषद की सदस्यता ले सके।”
भूपति ने कहा, “राज्यपाल को कार्यवाहक मुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम के आरोप पर भी गौर करना चाहिए, जिनका कहना है कि उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया।” उन्होंने यह भी कहा कि कार्यवाहक सरकार भी किसी अन्य सरकार की तरह ही होती है, जिसमें मुख्यमंत्री व उनका मंत्रिपरिषद होता है।
भूपति ने कहा, “यहां कार्यवाहक मुख्यमंत्री तो हैं, पर उनका मंत्रिपरिषद कहां है?” इस बीच, मद्रास उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति के. चंद्रू ने आईएएनएस से कहा कि राज्यपाल संवैधानिक तौर पर उस व्यक्ति को सरकार बुलाने के लिए बाध्य हैं, जो विधायकों के समर्थन का दावा करता/करती है।
चंद्रू ने कहा, “संविधान का प्रावधान वास्तव में एक ढांचा भर है। इसमें अदालतें अपने निर्णयों से बहुत कुछ जोड़ती हैं। संविधान के प्रावधानों का अर्थ अदालतें अपने-अपने निर्णयों से स्पष्ट करती हैं।” चंद्रू के अनुसार, राज्यपाल सरकार गठन के लिए किसी व्यक्ति को आमंत्रित करते समय इस पर विचार नहीं कर सकते कि उसके खिलाफ कोई मामला लंबित है या नहीं।
चंद्रू ने पन्नीरसेल्वम के इस दावे से भी असहमति जताई कि उनसे जबरन इस्तीफा लिया गया। उन्होंने कहा, “पन्नीरसेल्वम रविवार को पोएस गार्डन (दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री जे.जयलिता का आवास, जहां अब शशिकला रह रही हैं) और पार्टी मुख्ययालय से बाहर निकलने के बाद अपने आरोपों को लेकर जनता के बीच जा सकते थे। वह इसकी शिकायत राज्यपाल या राष्ट्रपति अथवा प्रधानमंत्री से कर सकते थे।”