जल्लीकट्टू आंदोलन असंतोष, क्रोध का प्रतीक : कमल हासन
अभिनेता-फिल्म निर्माता कमल हासन ने कहा कि हाल में जल्लीकट्टू के खिलाफ प्रतिबंध पर हुआ आंदोलन गुस्से और असंतोष का एक प्रतीक है। जल्लीकट्टू तमिलनाडु में सांड़ को दारू पिलाकर और उसकी आंखों में मिर्ची झोंककर भड़काने के बाद उसे काबू में करने का एक प्राचीन और लोकप्रिय खेल है। हासन ने मुखर होकर जल्लीकट्टू पर अपनी राय जाहिर की। उन्होंने का कहा कि खेल को विनियमित किया जाना चाहिए प्रतिबंधित नहीं। उन्होंने सोमवार को ट्विटर पर आए कथित तौर पुलिस के आगजनी करने वाले वीडियो पर ‘हैरानी’ जाहिर की। उन्होंने प्रदर्शनकारियों पर पुलिस की कार्रवाई की आलोचना की और उनसे शांत रहने का अनुरोध किया।
अपने आवास पर मंगलवार को संवाददाताओं से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा, “यह पूरा आंदोलन असंतोष और दशकों की कई तरह की नाराजगी का एक प्रतीक है। यह अचानक हुआ विस्फोट नहीं है। यह इस वजह से हुआ क्योंकि हमें एक वजह मिली।” यह पूछे जाने पर कि यदि इन प्रदर्शनों को राष्ट्र विरोधी के तौर पर देखा गया तो उन्होंने कहा, अतीत में कई नेताओं ने तमिलनाडु के लिए अलग देश की मांग कर चुके हैं। क्या वे राष्ट्र विरोधी हैं?
प्रतिबंध की संस्कृति पर बात करते हुए, उन्होंने कहा कि वह किसी भी तरह के प्रतिबंध के खिलाफ हैं–चाहे यह फिल्मों पर हो या सांडो पर। उन्होंने कहा, “प्रतिबंध के साथ मत आइए। इसे विनियमित करने की कोशिश कीजिए। जल्लीकट्टू से ज्यादा लोग वाहन दुर्घटनाओं में मारे जाते हैं। हम वाहन चलाने या कार दौड़ के खेल को प्रतिबंधित नहीं करते। मेरी फिल्म ‘विश्वरूपम’ को प्रतिबंधित कर दिया गया था क्योंकि कुछ लोगों ने इस मुस्लिम विरोधी होने का दावा किया, लेकिन ऐसा नहीं था।”
जल्लीकट्टू के नेतृत्वविहीन आंदोलन होने के सवाल पर कमल ने फ्रांसीसी दार्शनिक अल्बर्ट कामुस के शब्दों का हवाला दिया। कामुस के शब्दों में, “मेरे पीछे मत चलो, मैं नेतृत्व नहीं कर सकता। मेरे आगे मत चलो, मैं अनुसरण नहीं कर सकता। सिर्फ मेरे बगल में चलो और मेरे दोस्त रहो।”
उन्होंने कहा, “इसे आप नेतृत्वविहीन आंदोलन कह रहे हैं, लेकिन एकता को देखिए। मेरी सबसे बड़ी चिंता लाखों प्रदर्शनकारियों के बीच महिलाएं और बच्चे हैं। उनके साथ कुछ नहीं हुआ। आप ने मेरे भाइयों के बीच स्वस्थ, प्रसन्न निर्भयाओं को देखा। गांधी जी का सपना-राष्ट्र सही मायने में तभी स्वतंत्र होगा जब एक आभूषण से लदी महिला मध्य रात्रि में चल सके-सच हुआ है।”
उन्होंने कहा, “मैं अकेला अभिनेता हूं जिसने दो महत्वपूर्ण मुद्दों-जल्लीकट्टू और मृत्युदंड पर फिल्म ‘वीरुमंडी’ बनाई। मैं जल्लीकट्टू पर 13 सालों से बात कर रहा हूं।”