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सर्वोच्च न्यायालय एक सप्ताह तक नहीं सुनाएगा जल्लीकट्ट पर फैसला

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नई दिल्ली | तमिलनाडु में बैल को काबू करने के परंपरागत खेल जल्लीकट्ट पर प्रतिबंध के खिलाफ जारी व्यापक प्रदर्शन के बीच सर्वोच्च न्यायालय इस मुद्दे पर फैसला एक सप्ताह तक टालने के लिए राजी हो गया। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह रजामंदी महान्यायवादी मुकुल रोहतगी की इस दलील पर दी कि राज्य में ‘सांस्कृतिक भावनाएं’ उफान पर हैं।
शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार की सात जनवरी, 2016 की अधिसूचना को चुनौती देने वाले पशु अधिकार कार्यकर्ताओं और संगठनों की याचिकाओं पर साल 2016 में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस अधिसूचना के जरिये राज्य सरकार ने बैलों को उन पशुओं की सूची से बाहर कर दिया था, जिनका इस्तेमाल प्रदर्शन या लड़ाई अथवा दौड़ के लिए नहीं किया जा सकता।
उस समय अधिसूचना के जारी होने के एक सप्ताह बाद शीर्ष अदालत ने उस पर रोक लगा दी थी।
अदालत को सूचित किया गया कि केंद्र और राज्य सरकार संपर्क में हैं और स्थिति से निपटने के लिए कुछ कदम उठाए जा रहे हैं।

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