जामिया यूनिवर्सिटी के 14 छात्र हिरासत में, कैंटीन के बाहर की थी तोड़फोड़
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नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस ने सुबह तड़के छह बजे जामिया यूनिवर्सिटी के 14 छात्रों को यूनिवर्सिटी प्रशासन की शिकायत पर हिरासत में लिया है। इन छात्रों पर आरोप है कि इन्होंने अपने प्रदर्शन के दौरान यूनिवर्सिटी की कैंटीन बंद कर दी थी और उसके बाहर बैठकर लगातार प्रदर्शन कर रहे थे और कल कैंटीन के बाहर तोड़ फोड़ भी की थी। 2019 में हुई जामिया में पुलिस फायरिंग के विरोध में पीएचडी के दो छात्र उसकी बरसी बनाना चाहते थे, लेकिन यूनिवर्सिटी प्रशासन ने उसकी इजाजत नहीं दी थी।
इसके बावजूद ये छात्र अपने अन्य साथियों के साथ कार्यक्रम कर रहे थे, जिसके बाद यूनिवर्सिटी की तरफ से इन्हें कारण बताओ नोटिस दिया गया था। इस नोटिस का संतोषजनक जवाब न मिलने के बाद यूनिवर्सिटी इन छात्रों के खिलाफ एक्शन लेने के मूड में थी, जिसके बाद इन छात्रों ने वहां हिंसक प्रदर्शन किया।
प्रदर्शन के दौरान छात्रों यूनिवर्सिटी के ही मेवाती छात्र संघटन के छात्रों से दो दिन पहले मारपीट भी हुई थी, जिसके बाद पुलिस ने इस मामले में एफआईआर दर्ज की थी। फिलहाल इन 14 छात्रों को यूनिवर्सिटी प्रशासन ने यूनिवर्सिटी परिसर से बाहर कर पुलिस को सौंप दिया और पुलिस ने इन्हें हिरासत में लिया। पुलिस यूनिवर्सिटी में नहीं गई थी। हालांकि, छात्रों का कहना है कि जामिया प्रशासन अपनी मनमानी कर रहा है।
विश्विद्यालय का बयान
विश्वविद्यालय से एक बयान साझा करते हुए, एक अन्य पुलिस अधिकारी ने कहा कि 10 से अधिक छात्रों को हिरासत में लिया गया है और आगे की जांच चल रही है। विश्वविद्यालय ने एक बयान में कहा कि मुट्ठी भर छात्रों ने 10 फरवरी की शाम से ही अकादमिक ब्लॉक में गैरकानूनी तरीके से इकट्ठा होकर विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया। बयान में कहा गया “तब से, उन्होंने न केवल कक्षाओं के शांतिपूर्ण संचालन को बाधित किया है, बल्कि अन्य छात्रों को केंद्रीय पुस्तकालय तक पहुंचने और ऐसे समय में कक्षाओं में भाग लेने से भी रोका है, जब मध्य सेमेस्टर की परीक्षाएं शुरू होने वाली हैं।
छात्र नेता सोनाक्षी ने बताया कि प्रदर्शनकारियों की चार प्रमुख मांगें हैं:
दो पीएचडी छात्रों को जारी किए गए कारण बताओ नोटिस को रद्द करना
परिसर में विरोध प्रदर्शनों को प्रतिबंधित करने वाले 2022 कार्यालय ज्ञापन को निरस्त करना
भित्तिचित्रों और पोस्टरों के लिए 50,000 रुपये के जुर्माने को खत्म करना
विरोध प्रदर्शनों में भाग लेने वाले छात्रों के खिलाफ भविष्य में कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई न हो यह सुनिश्चित करना