चुनाव से पहले बजट के खिलाफ विपक्ष की निर्वाचन आयोग से मुलाकात
नई दिल्ली | छह विपक्षी दलों ने निर्वाचन आयोग से आग्रह किया कि पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया पूरी होने तक आम बजट को टालने का निर्देश दिया जाए। कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने मीडिया को बताया, “हमने उन्हें बताया कि चुनाव से पहले बजट की अनुमति देने पर सरकार को इसका अनुचित लाभ मिलेगा और इसे मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।”
उन्होंने कहा, “मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी और उनके प्रतिनिधियों ने धैर्यपूर्वक हमारी बात सुनी।”
11 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, जनता दल-युनाइटेड, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल के सदस्य थे। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनाव से पहले एक फरवरी को बजट पेश किया जाना है।
तृणमूल के लोकसभा सदस्य डेरेक ओ ब्रायन ने उम्मीद जताई कि निर्वाचन आयोग उनकी मांग पर ध्यान देगा।
उन्होंने कहा, “आठ मार्च के बाद बजट पेश किए जाने का पर्याप्त समय है। यही उचित तरीका है।” भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने विपक्ष के इस कदम की आलोचना की है। केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा, “बजट सरकार का संवैधानिक कर्तव्य है। इसका किसी राज्य से कोई संबंध नहीं है। बजट (1 फरवरी को) पेश किए जाने का निर्णय अचानक नहीं लिया गया है।”
उन्होंने कहा, “विपक्षी दलों के पास मुद्दों का अकाल पड़ गया है। इसलिए वे इसे एक मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे हैं। सरकार ने बजट पेश करने के लिए एक फरवरी का दिन तय किया है। विपक्ष चाहे जो भी कहे, बजट उसी दिन पेश किया जाएगा।”
भाजपा के राष्ट्रीय सचिव सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि बजट का विरोध कांग्रेस और समाजवादी पार्टी की हताशा को दिखाता है। उन्होंने कहा, “बजट एक संवैधानिक अनिवार्यता है और इसका चुनाव से कोई लेना-देना नहीं है। देश में चुनाव होते रहे हैं। उनकी वजह से कभी बजट को स्थगित नहीं किया जाता।”