देश में हॉकी को पुनर्जीवित कर गया 2016
नई दिल्ली | भारतीय हॉकी के लिए वर्ष-2016 अपनी खोई प्रतिभा की ओर लौटने वाला वर्ष साबित हुआ। पिछले कुछ वर्षो की यह साल भारतीय हॉकी के लिए सबसे सुखद रहा। जूनियर से लेकर सीनियर, देश की हर टीम ने पूरी दुनिया में अपनी तूती बुलवाई। 15 साल बाद हरजीत सिंह की आगुआई में भारत ने अपने घर में जूनियर हॉकी विश्व कप का खिताब जीता तो 36 साल बाद भारतीय महिलाएं ओलम्पिक में तिरंगा थामें देखी गईं। पुरुष सीनियर टीम ने भी चैम्पियंस ट्रॉफी में रजत पदक जीता तो एशियन चैम्पियंस ट्रॉफी का खिताब चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को हराकर अपने नाम किया। साल के अंत में भारत ने एफआईएच जूनियर विश्व कप की मेजबानी की। मेजबान होने के नाते देश की युवा टीम से जीत की उम्मीद थी और हुआ भी यही। भारत ने फाइनल में बेल्जियम को 2-1 से मात दी और विजेता बन कर उभरी। साल का अंत इससे बेहतर नहीं हो सकता था। भारतीय पुरुष हॉकी टीम के प्रदर्शन में इस साल निरंतरता देखने को मिली। टीम कई ऐसे मुकाबलों में विजेता बनकर उभरी जहां उम्मीद नहीं थी। चैम्पियंस ट्रॉफी में भारतीय टीम ने इतिहास रचा। भारत पहली बार चैम्पियंस ट्रॉफी में रजत पदक हासिल करने में कामयाब रही।
इससे पहले भारत ने 1982 में चैम्पियंस ट्रॉफी में कांस्य पदक जीता था। भारतीय टीम के सामने फाइनल में आस्ट्रेलिया जैसी धुरंधर टीम थी, लेकिन भारतीय टीम ने उनका डटकर मुकाबला किया और निर्धारित समय तक बराबरी पर रहे। लेकिन पेनाल्टी शूटआउट में भारतीय टीम को हार झेलनी पड़ी। टीम इसके बाद रियो ओलम्पिक में उतरी। बेहतरीन प्रदर्शन कर रही भारतीय टीम ग्रुप दौर से आगे निकल कर क्वार्टर फाइनल तक पहुंची। इन दोनों टूर्नामेंट से पहले टीम अप्रैल में सुल्तान अजलान शाह टूर्नामेंट में रजत पदक लेकर लौटी थी। भारतीय टीम का शानदार सफर यहीं नहीं रुका। मंच एशियन चैम्पियंस ट्रॉफी था और फाइनल में चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान। भारत ने शानदार खेल दिखाया और दिवाली के दिन (30 अक्टूबर) को हुए फाइनल में पाकिस्तान को परास्त कर देश को झूमने का एक और मौका दिया। इस जीत के साथ भारत ने सैफ खेलों के फाइनल में पाकिस्तान के हाथों मिली हार का हिसाब भी बराबर किया।
पुरुष टीम की सफलता को महिला टीम आगे तो नहीं ले जा सकी लेकिन साथ चलती जरूर दिखी। भारतीय पुरुष टीम ने एशियन चैम्पियंस ट्रॉफी पर कब्जा जमाया तो लगभग एक सप्ताह बाद महिलाओं ने इसी टूर्नामेंट के फाइनल में चीन को 2-1 से मात दे दूसरी बार खिताब जीता।
36 साल बाद भारतीय महिलाएं ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई करने में सफल रहीं। 2016 से पहले भारतीय महिला हॉकी टीम 1980 में मास्को ओलम्पिक में उतरी थी। हालांकि भारतीय टीम क्वार्टर फाइनल तक भी नहीं पहुंच सकी। इससे पहले फरवरी में हुए सैफ खेलों में महिलाओं ने स्वर्ण पदक जीत अच्छी शुरुआत की थी।
मैदान के बाहर भी भारत हॉकी में आगे बढ़ा। हॉकी इंडिया (एचआई) के अध्यक्ष नरिंदर बत्रा को अंतर्राष्ट्रीय हॉकी महासंघ (एफआईएच) का अध्यक्ष चुना गया। वह लिएंड्रो नेग्रे की जगह विश्व हॉकी की शीर्ष संस्था के मुखिया बने। वह इस पद पह बैठने वाले भारत के पहले व्यक्ति हैं।