सरकार रेलवे बजट में कोई लोकलुभावन कदम नही उठायेगी: जेटली
नई दिल्ली | केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने संकेत दिए कि अगले बजट में रेलवे के लिए कोई लोकलुभावन कदम नहीं उठाए जाएंगे। अगले वित्तीय वर्ष में रेल बजट का विलय आम बजट में हो जाएगा। भारतीय उद्योग परिसंघ द्वारा यहां भारतीय रेल लेखा सुधार पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में जेटली ने कहा, “पूरी दुनिया में वह संगठन सफल है जो एक वित्तीय मॉडल का अनुसरण करता है जहां ग्राहक उन सेवाओं के लिए भुगतान करते हैं, जिसका वे उपभोग करते हैं।” उन्होंने कहा कि लोकलुभावन का मतलब है कि ग्राहकों को उन सेवाओं के लिए भुगतान करने की जरूरत नहीं है, जिसका वे उपभोग करते हैं, लेकिन ये सिद्धांत नहीं है जिस पर सबसे बड़ा परिवहन संचालक काम कर सकता है।
वित्तमंत्री ने कहा, “हम एक सेवा संगठन के रूप में रेलवे को बनाना चाहते हैं जो व्यावसायिक रूप से अपने बल पर चलने लायक है और विश्वस्तरीय गुणवत्ता और मूलभूत ढांचा भी उपलब्ध कराता है।”
जेटली ने कहा कि परिवहन के अन्य माध्यमों के साथ प्रतियोगिता में पिछड़ने की झलक भारतीय रेलवे की लेखा पुस्तिकाओं में मिलती है।
उन्होंने कहा, “इसी दबाव के कारण रेलवे चाहता था कि वित्त मंत्रालय उसके बजट का अधिग्रहण कर ले।” इस साल के शुरू में सरकार ने 92 साल पुरानी प्रथा का अंत करते हुए रेल बजट के आम बजट के साथ विलय की घोषण की थी। रेलवे लेखा सेवा में सुधार पर जेटली ने कहा इनमें यह प्रतिबिंबित होना चाहिए कि वास्तविक निवेश किया जा रहा है। साल 2019 से रेलवे निवेश और लागत के ज्यादा सटीक आकलन के लिए उपार्जन आधारित लेखा विधि अपनाना चाहता है।