नर्मदा सेवा यात्रा का शुभारंभ, कार्यक्रम जारी
अमरकंटक | नर्मदा नदी को प्रदूषण मुक्त करने के मकसद से उद्गमस्थल अमरकंटक से ‘नमामि देवी नर्मदे सेवा यात्रा’ शुरू की गई। शुभारंभ का कार्यक्रम जारी है, और मंच पर विभिन्न साधु-संत, पर्यावरणविद के साथ राजनीतिक हस्तियां मौजूद हैं। नर्मदा सेवा यात्रा कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन से हुई। मंच पर मौजूद महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि, बाबा कल्याण दास, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सह कार्यवाह भैया जी जोशी, स्टॉक होम वॉटर प्राइस से सम्मानित राजेंद्र सिंह, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने दीप प्रज्ज्वलित किया।
इससे पहले मुख्यमंत्री चौहान ने रविवार सुबह नर्मदा सेवा यात्रा शुरू होने के पहले अमरकंटक स्थित विभिन्न आश्रमों का भ्रमण किया। उन्होंने संत महात्माओं से भेंट कर नर्मदा सेवा यात्रा के उद्देश्यों की जानकारी दी और उन्हें यात्रा में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया। मुख्यमंत्री चौहान ने आचार्य महामंडलेश्वर सुखदेवानंद से भेंट की। आचार्य ने यात्रा की सराहना करते हुए उन वृक्षों को लगाने का सुझाव दिया जो जल संरक्षण और संवर्धन में मदद करते हैं। इनमें पीपल, बरगद, चीकू, आम अर्जुन, झिरी, बकूल आदि पौधे शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन प्रजातियों के पौधे लगाने के लिए लोगों को जागरूक किया जाएगा।
चौहान मृत्युंजय आश्रम पहुंचकर महामंडलेश्वर हरिहरानंद से और कल्याण आश्रम में अन्य संत-महात्माओं से भेंट की। उन्होंने यहां पूजा-अर्चना की और संतों को यात्रा में शामिल होने का न्यौता दिया। इसी तरह अन्य आश्रमों और धार्मिक स्थलों का भी भ्रमण किया।मुख्यमंत्री ने अमरकंटक स्थित प्राचीन मंदिर समूहों का भी अवलोकन किया। उन्होंने कहा कि इस धार्मिक नगरी को सुंदर और सुव्यवस्थित बनाने के लिए मास्टर प्लान तैयार किया जाएगा, ताकि मां नर्मदा को प्रदूषण मुक्त किया जाए। नर्मदा सेवा यात्रा के संयोजक एवं जनअभियान परिषद के पदाधिकारी इस अवसर पर उपस्थित थे।
नर्मदा को प्रदूषणमुक्त बनाने और नदी के संरक्षण के लिए जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से प्रदेश की जीवन रेखा नर्मदा नदी के उदगम स्थल अमरकंटक से 144 दिवसीय ‘नमामि देवी नर्मदे’ सेवा यात्रा का 11 दिसंबर को शुभारंभ मुख्यमंत्री करेंगे। यात्रा नर्मदा नदी के तट पर स्थित नगरों एवं कस्बों से होकर 16 जिलों से गुजरेगी। यात्रा का पहला पड़ाव अमरकंटक नगर से तीन किलोमीटर दूर स्थित अमरकंटक की सीमा के अरंडी आश्रम में होगा।