नोटबंदी के खिलाफ गुस्सा बढ़ा लेकिन मोदी अभी भी लोगों की पहले पसंद
नोटबंदी के साइड इफ़ेक्ट अब सामने आने लगे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी के फैसले के एक महीने के बाद अब जनता का मूड बदल रहा है। लोगों में अब इस फैसले के चलते हो रही दिक्कतों के कारण गुस्सा बढ़ रहा है। हफिंगटन पोस्ट-बीडब्ल्यू-सीवोटर की ओर से कराए गए ओपिनियन पोल में सामने आया है कि लोग नोटबंदी के फैसले को अब परेशानी मानने लगे हैं। यह पोल आठ दिसंबर को 26 राज्यों के 261 संसदीय क्षेत्रों में कराया गया है। नए पोल में नोटबंदी के चलते लाइन में लगने के काम को सही मानने वाले लोगों की संख्या गांवों में 86 से घटकर 80 प्रतिशत से नीचे आ गई। वहीं अर्ध शहरी क्षेत्रों में यह प्रतिशत 93 से घटकर 89 प्रतिशत पर आ गया। इसी तरह से शहरों में 91 से घटकर 84 प्रतिशत रह गया है।
गावों में लोगों ने माना गरीबों का नुकसान हुआ
सर्वे के अनुसार ग्रामीण व अर्ध शहरी क्षेत्रों में नोटबंदी से पड़े असर ने लोगों के जीवन पर बड़ा असर डाला है। वहीं शहरी क्षेत्रों में हालात पहले जैसे ही है।नोटबंदी को छोटी समस्या या ना के बराबर समस्या मानने वाले लोगों को प्रतिशत भी कम हो रहा है। तीसरे सप्ताह में ग्रामीण क्षेत्रों में यह प्रतिशत 86 से कम होकर 73 रह गया है। अर्ध शहरी क्षेत्र में 75 से घटकर 70 और शहरों में 73 प्रतिशत के आसपास रहा है। नोटबंदी से सबसे ज्यादा किस पर असर पड़ा है। इस सवाल के जवाब में ग्रामीण क्षेत्र के लोगों का मानना है कि गरीबों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है।
शहर वालों ने माना, अमीरों पर हुआ गहरा असर
वहीं शहरों में मानना है कि अमीरों पर गहरा असर हुआ है। हालांकि नोटबंदी के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता में कमी नहीं आई है। सर्वे के अनुसार बहुमत अभी भी पीएम के साथ है। बहुत से लोगों का कहना है कि लंबे समय के हिसाब से यह फैसला फायदेमंद साबित होगा। ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों का मानना है कि नोटबंदी के फैसले से प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता बढ़ी है।
अगर यह समस्या जल्द दूर नहीं होती है तो क्या वे भाजपा के खिलाफ वोट डालेंगे। इस सवाल के जवाब में हां कहने वाले केवल 10.5 प्रतिशत लोग थे। 52 प्रतिशत से ज्यादा लोगों ने कहा कि वे नोटबंदी का समर्थन करेंगे। वहीं सात प्रतिशत ने कहा कि वे इस फैसले के खिलाफ होने वाले प्रदर्शन का समर्थन करेंगे। 18 प्रतिशत से ज्यादा ने कहा किे उनके पास समर्थन करने के अलावा और कोई विकल्प ही नहीं है।