नये नियमों से बनेगें भोपाल गैस पीड़ितों के स्मार्ट कार्ड
राजधानी भोपाल के हजारों गैस पीड़ितों और उनके बच्चों के नए सिरे से स्मार्ट कार्ड बनाए जा रहे हैं, ताकि उन्हें बेहतर इलाज की सुविधा मिल सके। अब तक 30 हजार स्मार्ट कार्ड बनाए जा चुके हैं। त्रासदी की 32वीं बरसी की पूर्व संध्या पर शुक्रवार को भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विश्वास सारंग की ओर से जारी एक अधिकारिक बयान में कहा गया कि चिकित्सकों और अस्पताल के स्टाफ की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए सभी गैस राहत अस्पतालों में बयोमीट्रिक मशीनों से उपस्थिति दर्ज करने की व्यवस्था शुरू की गई है।
राज्य मंत्री ने कहा कि भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेन्टर और गैस राहत विभाग के अस्पतालों में गैस पीड़ितों का सुविधाजनक तरीके से इलाज और पूर्व में हुए उनके इलाज के विवरण की उपलब्धता के लिए सभी गैस पीड़ितों के नए स्मार्ट कार्ड बनाए जा रहे हैं। इससे दोनों अस्पतालों के बीच समन्वय स्थापित करने भी मिलेगी।
सारंग ने बताया कि गैस राहत के सभी छह अस्पतालों को ‘ई-हास्पिटल’ परियोजना के तहत कम्प्यूटरीकृत किया जा रहा है। इस पर 11 करोड़ 43 लाख रुपये खर्च किए जा रहे हैं। अगले चरण में नौ ‘डे-केयर सेन्टर’ को भी कम्प्यूटरों से जोड़ा जाएगा।
राज्य मंत्री ने बताया कि किडनी रोगियों के उपचार के लिए 10 नई डायालसिस मशीनें खरीदी गई हैं। गैस पीड़ितों के राहत, पुनर्वास और स्वास्थ्य के संबंध में एक उच्च-स्तरीय अध्ययन करवाया जा रहा है। अध्ययन की रिपोर्ट के आधार पर गैस प्रभावितों के लिए एक समग्र कार्य योजना तैयार की जाएगी।
ज्ञात हो कि 3 दिसंबर, 1984 की रात को यूनियन कार्बाइड संयंत्र से रिसी जहरीली गैस ने जहां एक ओर हजारों लोगों की जानें ले ली थीं, वहीं लाखों लोगों को जिंदगी और मौत के बीच जूझने को मजबूर कर दिया है। नई पीढ़ियां भी बीमार, अपंग पैदा हो रही हैं।