राफेल सौदा मोदी सरकार विपक्ष के निशाने पर है योगेंद्र यादव व प्रशांत भूषण ने केंद्र सरकार पर बड़ा हमला किया है। स्वराज अभियान के दोनों नेताओं का आरोप है कि राष्ट्रीय सुरक्षा पर मोदी सरकार के दावे पूरी तरह खोखले हैं।
यहां तक कि जिस विदेशी कंपनी को काली सूची में डालना चाहिए था, उसी से रफाल विमान का समझौता हुआ। स्वराज अभियान ने अपने अपने आरोपों के हक में दस्तावेज भी जारी किए।
बृहस्पतिवार को प्रेस कांफ्रेंस में प्रशांत भूषण ने बताया कि पूरे मामले की जानकारी प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार व सीबीआई को है। लेकिन केंद्र सरकार कोई कदम नहीं उठा रही है।
क्या है दुगने दाम पर सौदे की वजह?
उन्होंने सरकार से विमान समझौते से जुड़ी जानकारियां सार्वजनिक करने की मांग की ताकि शुरुआती बातचीत में तय हुई कीमत से दोगुने से ज्यादा पर हुए समझौते की वजह पता चल सके। प्रशांत के मुताबिक, मामला 2005 के नौसेना वॉर रूम से जुड़ी जानकारियों के लीक होने से जुड़ा है।
इस मामले में रक्षा सौदों के दलाल अभिषेक वर्मा को 2008 में गिरफ्तार किया गया। फिर भी भाजपा के एक सांसद के जरिये वर्मा को 2011 तक दूसरे रक्षा सौदों की गोपनीय जानकारियां मिलती रहीं।
भूषण ने बताया कि मई 2014 में तत्कालीन सीवीसी डायरेक्टर केवी चौधरी ने नई सरकार को अभिषेक वर्मा व रक्षा सौदों के घोटालों की जानकारियां दी थी। वहीं, सितंबर 2016 ने मामले के सरकारी गवाह और कभी अभिषेक वर्मा के सहयोगी रहे एडमंड एलन ने प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और सीबीआई को एक पत्र लिखा।
छह पेज की इस चिट्ठी में पूरे घोटाले और बाद में अभिषेक वर्मा का भाजपा सांसद और नेवी के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ गलत रिश्तों का सिलसिलेवार ढंग से जिक्र है। योगेंद्र यादव ने कहा कि रक्षा मंत्री ने कई मौकों पर माना है कि पनडुब्बी सौदे में घोटाला हुआ है। लेकिन कोई कार्रवाई करने की कौन कहे, उसी कंपनी से रफाल समझौता किया, जिसका नाम पनडुब्बी घोटाले में शामिल है।