फिर दिखे त्रासदी के निशान घाटी में 50 से ज्यादा मिले नर कंकाल
केदारनाथ धाम से ऊपर त्रिजुगीनारायण रवाना हुए दल ने घाटी में 50 से ज्यादा नर कंकाल होने आशंका जताई है। बताया गया कि ये उन लोगों के कंकाल है जो जून 2103 केदारनाथ में आपदा का शिकार हुए थे। हालांकि घाटी में कितने कंकाल पड़े हुए हैं, इसकी अभी अधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।शनिवार को एसडीआरएफ की टीम त्रिजुगीनारायण पहुंची और इतनी भारी संख्या में कंकाल देख सब सन्न रह गए।आई संजय गुंज्याल भी त्रिजुगीनाराण के लिए रवाना हुए हैं। एसडीआरएफ की टीम के साथ घाटी के ग्रामीण भी त्रिजुगीनाराण पहुंचे हैं। अभी टीम के 50 नर कंकालों के होने की आशंका जताई है, लेकिन ये इनकी संख्या बढ़ने की संभावना भी है। हिटो केदार अभियान के तहत केदारनाथ के लिए अलग-अलग रुटों पर निकले ट्रेकिंग दलों में एक दल ने त्रियुगीनारायण-केदारनाथ पैदल ट्रेक पर कई नर कंकाल मिलने की बात कही थी। जिसके बाद शासन ने पुलिस और एसडीआरएफ की टीम क्षेत्र के लिए रवाना कर दी थी।
नरकंकाल की खोज के लिए राज्य सरकार के अभियान के वक्त पर बीजेपी ने सवाल खड़े किए हैं. चुनाव के ठीक पहले सूबे की सियासत को गरमाने वाले नरकंकाल की खोज के अभियान को बीजेपी ने सीएम हरीश रावत का राजनीतिक स्टंट करार दिया है. भाजपा नेता हरक सिंह रावत ने सवाल खड़ा किया है कि आखिर तीन साल तक मुख्यमंत्री हरीश रावत ने क्यों नहीं नरकंकाल की खोज का अभियान छेड़ा.
2013 की आपदा में अकाल ही काल का ग्रास बने यात्रियों के नरकंकाल की खोज फिर से 2016 में किए जाने के मामले ने तूल पकड़ना शुरु कर दिया है. सियासी गलियारों में नरकंकाल की फिर से खोज के अभियान ने सियासत को भी गरमा दिया है.
बीजेपी ने मुख्यमंत्री हरीश रावत के अभियान के वक्त को लेकर ही सीएम को आरोपों के कठघरे में खड़ा किया है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट का कहना है कि बीजेपी तो इस बात को सरकार के सामने कई बार ला चुकी है कि अभी तक भी केदारघाटी में नरकंकाल का मिलना जारी है, लेकिन बावजूद इसके सरकार ने बीजेपी की बात नहीं मानी. वहीं भाजपा नेता हरक सिंह रावत ने अभियान को लेकर सीएम हरीश रावत को ही आरोपों के कठघरे में खड़ा किया है.
भाजपा नेता हरक सिहं रावत का कहना है कि चुनाव की नजदीकियों के साथ ही सीएम हरीश रावत देशभर में एक माहौल बनाना चाहते हैं. हरक सिंह रावत की माने तो आपदा के 6 महीने बात ही विजय बहुगुणा सीएम पद से हट गए थे और इस 6 महीने के दौरान केदारघाटी में रेस्क्यू ऑपरेशन चलता रहा. लेकिन 6 महीने के बाद सीएम हरीश रावत ने जब कुर्सी संभाली तो आपदा पुननिर्माण लेकर तमाम सारे कामों का जिम्मा सीएम का था. फिर क्यों अब तीन सालों बाद सीएम हरीश रावत को नरकंकाल की खोज का अभियान छेडने की याद आई.