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कारगिल युद्ध में वाजपेयी ने नहीं दी थी सीमापार की इज़ाज़त सेना में भड़का था गुस्सा

malikथलसेना के पूर्व अध्यक्ष रिटायर्ड जनरल वीपी मलिक ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) पार कर भारतीय सेना के सर्जिकल स्ट्राइक की खुलकर तारीफ की. कारगिल युद्ध के वक्त आर्मी चीफ रहे जनरल मलिक ने बताया कि 1999 में भारतीय सेना एलओसी के पार करने के लिए तैयार थी, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते सेना को ये कदम उठाने से रोक दिया. उन्होंने बताया कि एलओसी पार करने से रोके जाने पर वे और सैनिक बहुत नाराज थे.

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, अहमदाबाद में स्विच ग्‍लोबल एक्‍सपो कार्यक्रम के दौरान कहा, ‘अब सर्जिकल स्ट्राइक के बाद हमे अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने भीख मांगने की जरूरत नहीं है कि पाकिस्तान पर भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियां रोकने के लिए दबाव बनाया जाए. हम हमें उन्हें कहना होगा कि अगर वो (पाकिस्तान) ऐसा करना जारी रखेंगे तो हम युद्ध करेंगे.

‘सिर्फ एक सर्जिकल स्ट्राइक से नहीं सुधरेगा पाकिस्तान’
पूर्व आर्मी चीफ ने कहा कि मुझे उम्मीद नहीं है कि एक सर्जिकल स्ट्राइक से पाकिस्तान बदलेगा. हमें उन पर और एक्शन लेने के लिए तैयार रहना होगा. जनरल मलिक सर्जिकल स्ट्राइक पर हो रही राजनीति को लेकर राजनेताओं पर बरसे. उन्होंने कहा, ‘हमें उन्‍हें यह बताना होगा कि राष्‍ट्रीय सुरक्षा की बात होने पर हमें साथ मिलकर काम करना होगा. जिन राजनेताओं को राष्‍ट्रीय सुरक्षा का ज्ञान ना हो, उन्‍हें चुप रहना चाहिए.’

‘2 जून को वाजपेयी ने कहा- सेना एलओसी पार न करे’
कारगिल युद्ध का जिक्र करते हुए जनरल मलिक ने कहा कि भारतीय सेना पाकिस्‍तानी घुसपैठ का जवाब देने के लिए एलओसी पार करने को तैयार थी. उनके मुताबिक, ‘2 जून को तत्कालीन प्रधानमंत्री वाजपेयी ने कहा कि सेना बॉर्डर पार न करे. तत्कालीन राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बृजेश मिश्रा ने एक इंटरव्यू में कहा कि सेना को आज सीमा पार न करने को कहा गया है लेकिन कल के बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता.’

‘एलओसी पार न करने के लिए पीएम ने मुझे मनाया’
बतौर मलिक, जब वाजपेयी ने उनसे कहा कि पाकिस्तान को जाने दो तो वे इससे बहुत नाराज थे. उन्‍होंने बताया, ‘तत्‍कालीन प्रधानमंत्री ने मुझे पाकिस्‍तान को जाने देने के लिए काफी मनाया. एक दिन में तीन-तीन बैठकें हुईं. मैं और हमारे सैनिक इससे नाखुश थे. कई वजहों में से एक वजह यह भी थी कि अंतरराष्‍ट्रीय समुदाय भी भारत पर दबाव बना रहा था. आम चुनाव भी आने वाले थे.’ उन्होंने कहा कि अगर दूरद्ष्टि से देखें तो सही फैसला था.

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