संचार सेवाओं में भारत की लंबी छलांग
संचार उपग्रह जीसैट-18 सफलतापूर्वक प्रक्षेपित
बेंगलूरू। भारत का नवीनतम संचार उपग्रह जीसैट-18 फ्रेंच गुआना के कोउरू अंतरिक्ष केंद्र से सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया जिससे देश की संचार सेवाओं में मजबूती आएगी। जीसैट-18 आगामी दिनों में टेलीविजन, दूरसंचार, वीसैट और डिजिटल उपग्रह समाचार एकत्र करने जैसी सेवाएं प्रदान करेगा। प्रक्षेपण में एक दिन के विलंब के बाद यूरोपीय प्रक्षेपक रॉकेट एरियन-5 वीए-231 भारतीय समयानुसार तड़के करीब दो बजे अंतरिक्ष के लिए रवाना हुआ और 32 मिनट से थोड़ा अधिक की त्रुटिरहित उड़ान में अपने साथ गए सहयात्री स्काई मस्टर..2 उपग्रह का चक्कर लगाने के बाद उच्च शक्ति वाले जीसैट-8 को अंतरिक्ष में स्थापित कर दिया। साथ गया स्काई मस्टर-2 उपग्रह ऑस्ट्रेलियाई परिचालक एनबीएन (नेशनल ब्रॉडबैंड नेटवर्क) से संबद्ध है। इसका प्रक्षेपण असल में बुधवार को किया जाना था, लेकिन कोउरू में मौसम खराब होने की वजह से इसे 24 घंटे के लिए टाल दिया गया था। कोउरू दक्षिणी अमेरिका के उत्तर-पूर्व में स्थित एक फ्रांसीसी क्षेत्र है। जीसैट-18 ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वर्तमान में परिचालित 14 संचार उपग्रहों के बेड़े को मजबूती प्रदान की है। इसे ‘जिओसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट’ में प्रक्षेपित किया गया। उपग्रह के प्रक्षेण यान से अलग होते ही कर्नाटक के हासन स्थित मुख्य नियंत्रण केंद्र ने तत्काल इसकी कमान और निंयत्रण अपने हाथों में ले लिया। बेंगलूरू में मुख्यालय रखने वाले इसरो ने कहा कि उपग्रह की प्रारंभिक जांच में पता चला कि इसकी स्थिति ‘‘सामान्य’’ है। इसरो ने कहा, ‘‘32 मिनट 28 सेकंड की उड़ान के बाद जीसैट-18 एरियन-5 से अलग होकर भूमध्य रेखा के छह डिग्री कोण पर 251.7 किलोमीटर की पेरिजी (धरती से निकटतम बिन्दु) और 35,888 किलोमीटर की एपोजी (धरती से दूरस्थ बिन्दु) पर दीर्घवृत्ताकार जिओसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (जीटीओ) में उपरी चरण पर चला गया ।’’ राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीसैट..18 के सफल प्रक्षेपण पर इसरो को बधाई दी।
मोदी ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘संचार उपग्रह जीसैट-18 के सफल प्रक्षेपण के लिए इसरो को बधाई। हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए यह एक और मील का पत्थर है।’’ राष्ट्रपति के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर कहा गया, ‘‘संचार उपग्रह जीसैट-18 के सफल प्रक्षेपण पर इसरो को हार्दिक बधाई।’’ इसरो के अध्यक्ष एएस किरण कुमार ने ‘‘एकदम सटीक’’ प्रक्षेपण के लिए एरियनस्पेस की सराहना करते हुए कहा, ‘‘जीसैट-18 हमारे लिए एक महत्वपूर्ण उपग्रह है जो पुराने होते मौजूदा उपग्रहों को बदलकर हमारे देश में महत्वपूर्ण संचार सेवाओं की निरंतरता बनाए रखने में हमें सक्षम बनाएगा।’’ जीसैट-18 यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा प्रक्षेपित किया जाने वाला इसरो का 20वां उपग्रह है तथा एरियनस्पेस प्रक्षेपक के लिए यह 280वां मिशन है। अपने भारी उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए एरियन-5 रॉकेट पर निर्भर इसरो इस उद्देश्य के लिए जीएसएलवी एमके-3 विकसित कर रहा है। प्रक्षेपण के समय 3,404 किलोग्राम वजन रखने वाला जीसैट-18 नॉर्मल सी बैंड, अपर एक्सटेंडेड सी बैंड और केयू बैंडों में सेवा प्रदान करने के लिए 48 संचार ट्रांसपोंडर लेकर गया है। मिशन नियंत्रण केंद्र से प्रक्षेपण देखने वाले इसरो प्रमुख प्रक्षेपण के तुरंत बाद चले गए और उनका संदेश बाद में उनके एक सहकर्मी ने पढ़कर सुनाया।
सी बैंड, विस्तारित सी बैंड और केयू बैंडों में परिचालित उपग्रहों की सेवाओं की निरंतरता उपलब्ध कराने के लिए डिजाइन किया गया जीसैट-18 उपग्रह करीब 15 साल के सेवा मिशन पर गया है। इसरो ने कहा कि आगामी दिनों में जीसैट-18 को उपग्रह की प्रणोदक प्रणाली का चरणों में इस्तेमाल कर भूस्थतिक कक्षा (भूमध्य रेखा से 36 हजार किलोमीटर ऊपर) में पहुंचाने के लिए इसे कक्षा में ऊपर उठाने का कार्य किया जाएगा। इसने कहा कि जीसैट-18 के दो सौर पैनल और दोनों एंटीना परावर्तक इसे कक्षा में उपर उठाने के बाद तैनात किए जाएंगे। उपग्रह को भूस्थतिक कक्षा में 74 डिग्री पूर्वी देशान्तर पर और इसे भारत के परिचालित भूस्थतिक उपग्रहों के साथ स्थापित किया जाएगा। इसके बाद, इसरो जीसैट-18 के साथ गए संचार उपग्रहों पर प्रायोगिक कार्य करेगा और कक्षा संबंधी सभी परीक्षण पूरे होने के बाद उपग्रह परिचालन इस्तेमाल के लिए तैयार हो जाएगा। जीसैट-18 का सहयात्री स्काई मस्टर-2 कैलिफोर्निया के पालो आल्टो स्थित एएसएल (स्पेस सिस्टम्स लोराल) द्वारा निर्मित किया गया है। यह डिजिटल अंतराल को पाटने पर केंद्रित है, खासकर ऑस्ट्रेलिया के ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में। अगले साल के शुरू में एरियनस्पेस इसरो के दो और उपग्रहों- जीसैट-17 तथा जीसैट-11 का भी प्रक्षेपण करेगा। कुमार ने कहा, ‘‘इन उपग्रहों का प्रक्षेपण संबंधी कार्य उच्च चरण में है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जीसैट 17 हमारे उपग्रहों को बदलने के लिए एक महत्वपूर्ण उपग्रह है और जीसैट 11 ‘हाई थ्रूपुट’ उपग्रह की इसरो की पहली पीढ़ी होगा। भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए ये दोनों आगामी प्रक्षेपण अहम हैं।”
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