शादी में सड़क बनी मुश्किल
तितोली गांव में सात साल से शहनाई नहीं बजी है। चौंकिए नहीं, ऐसा नहीं है कि इस गांव के लोगों की शादियां नहीं होती। शादियां खूब होती हैं, लेकिन बाराती गांव नहीं आना चाहते। दरअसल गांव पहुंचने के लिए पांच किलोमीटर का ऊबड़-खाबड़ रास्ता पैदल तय करना पड़ता है। इसलिए गांववालों को बेटी के हाथ पीले करने के लिए पांच किलोमीटर दूर सड़क पर आना पड़ता है। ग्रामीण सड़क पर तंबू लगाकर शादी की रस्में पूरी करते हैं और वहीं से बेटी को विदा करते हैं।
विश्वप्रसिद्ध नैनीताल का गुमनाम गांव
तितोली उत्तराखंड के किसी दूरस्थ जिले का गांव नहीं, बल्कि नैनीताल विधानसभा का हिस्सा है। यह हल्द्वानी से महज 50 किलोमीटर दूर है। गांव के बुजुर्ग मोहन सिंह बिष्ट बताते हैं, ‘लड़कों की शादियां तो किसी तरह हो जाती हैं, लेकिन सड़क न होने और रास्ता उबड़-खाबड़ होने से बेटी ब्याहने गांव कोई नहीं आना चाहता। साल 2009 में गांव के किशन सिंह की बेटी हेमा बिष्ट की बारात गांव आई थी। इसके बाद से गांववाले सड़क पर ही जाते हैं।
बारातघर का खर्चा उठाने की ताकत नहीं
गांव में अधिकतर परिवार गरीब किसान हैं। मोहन बिष्ट कहते हैं, दूल्हा पक्ष की पहली शर्त होती है कि बारात पैदल नहीं आएगी। हल्द्वानी में बारातघर बुक कर शादी करने के लायक पैसा ग्रामीणों के पास नहीं है। मजबूरी में सड़क पर ही तंबू-शामियाना लगाना पड़ता है। सात वर्षों में करीब छह लड़कियों की शादी ऐसे ही हुई। ग्रामीणों ने गांव से बर्तन, तंबू आदि ढोकर बारातियों का स्वागत किया।
तीन बार हो चुका सड़क का सर्वे
तितोली की ग्राम प्रधान सीमा बिष्ट ने बताया कि सड़क का तीन बार सर्वे हो चुका है, लेकिन सड़क अब तक बनाई नहीं गई। सड़क न होने से लोग गांव छोड़ने लगे हैं। कभी गांव में 40 परिवार रहते थे, आज सिर्फ 30 हैं।
विधायक ने भी नहीं देखा गांव
गांववालों के मुताबिक, नैनीताल की विधायक सरिता आर्या ने भी यह गांव नहीं देखा है। हालांकि सरिता ग्रामीणों की समस्या से पूरी तरह वाकिफ हैं। उन्होंने बताया कि फाइल केंद्र सरकार के पास रुकी है। वह गांववालों से मिली हैं, लेकिन गांव नहीं गई हैं।
रोड नहीं तो वोट नहीं
तितोली के युवा किसान दलीप सिंह, आनंद सिंह और कुंवर सिंह कहते हैं कि सड़क के लिए वह नेशनल हाईवे पर धरना दे चुके हैं। इस बार तय किया है, रोड नहीं तो वोट नहीं। इसके लिए ग्रामीणों को एकमत किया जा रहा है।