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संयुक्त राष्ट्र में बोली सुषमा… जिनके घर शीशे के हों वो दूसरों के घर पत्थर नहीं मारते

India's Foreign Minister Sushma Swaraj speaks during the 70th session of the United Nations General Assembly at U.N. headquarters, Thursday, Oct. 1, 2015. (AP Photo/Seth Wenig)
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संयुक्त राष्ट्र महासभा के 71वें सत्र को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आज संबोधित किया और पाकिस्‍तान को करारा जवाब दिया. उन्‍होंने अपना संबोधन हिंदी में दिया. सुषमा स्वराज ने आतंकवाद पर बोलते हुए कहा, अन्य देशों की तरह भारत भी आतंकवाद का शिकार हुआ है. उन्‍होंने कहा पूरा विश्व आतंकवाद की बढ़ती घटानाओं को रोकने में असफल रहा है. आतंकवाद मानवाधिकार का सबसे बड़ा उल्लंघन है. हमें इनके पनाहगारों को पहचानना होगा. अफगानिस्तान ने भी इस मंच से यह सवाल पहले उठाया था. जिस किसी ने भी इस तरह के हिंसक बीज बोये हैं उसका पहला फल उन्हें ही खाने को मिला है. अब इसने एक राक्षस का रूप धारण कर लिया है. मेरा या दूसरे का आतंकवादी कहकर हम इसे नहीं जीत पायेंगे. आतंकवाद को खत्म करना चाहते हैं तो हमें एक होना होगा. हमें पुराने समीकरण तोड़ने होंगे. इसमें केवल इच्छा शक्ति की कमी है. सुषमा ने पाकिस्‍तान का बिना नाम लिये कहा, अगर कोई देश इस तरह की रणनीति में शामिल नहीं होना चाहता तो उसे अलग थलग कर देना चाहिए. दुनिया में ऐसे देश हैं जो आतंकवाद उगाते हैं, आतंकवाद बेचते हैं और आतंकवाद निर्यात भी करते हैं. ऐसे देशों को चिन्हित करना चाहिए. जहां संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादी जलसे निकालते हैं और वो देश चुपचाप देखते हैं. ऐसे देश की जगह नहीं होनी चाहिए. इस मंच से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने जो बातें कही उन्होंने कहा कि हमारे देश में मानवाधिकार का उल्लंघन हो रहा है. जिनके अपने घर शीशे के हों वो दूसरों के घर पत्थर नहीं मारते. वो खुद बलुचिस्तान को देखें. हमने बातचीत के लिए कोई शर्त नहीं रखी. सच्चाई तो यह यह है कि हमने मित्रता के आधार पर विवाद सुलझाने की कोशिश की थी, लेकिन बदले में हमें पठानकोट, उरी जैसे दर्द मिले.

हमारे पास बहादुर अली इसके जिंदा सबूत हैं. अगर पाकिस्तान समझता है कि इस तरह के बयान देकर वो भारत का हिस्सा छिन सकता है तो वो समझ ले कि जम्मू कश्मीर भारत का अहम हिस्सा है और रहेगा. आतंकवाद से लड़ने के लिए हमें समकालिन नीति चाहिए. हमें आज की वास्तविकता और चुनौती के हिसाब से काम करना होगा. स्थायी सीटों में विस्तार की आवश्यकता है.

वक्ताओं की सूची में उनका नाम तीसरे नंबर पर था. सुषमा स्वराज ने कहा कि मैेने एक साल पहले यहां से विश्व को संबोधित किया था. तब से लकर अबतक बहुत चीजों में बदलावा आया है. हमें उन सभी पर विचार करना चाहिए. समय के अभाव के कारण मैं कुछ मुद्दों को नहीं दोहरा रही हूं लेकिन कुछ की चर्चा करना जरूरी है. सुषमा ने गरीबी की चर्चा करते हुए कहा कि इससे लड़ना जरूरी है.

पीटर थॉमसन इसलिए अभिन्नदन के पात्र है कि उन्होंने कई लक्ष्यों को प्राथमिकता दी है. इन 17 लक्ष्यों में से कई चीजों को भारत ने अपने राष्ट्रीय कार्यक्रम में शामिल किया है. स्वच्छता, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ , मेक इन इंडिया , जनधन योजना , डीजिटल इंडिया , युवाओं के कौशल के लिए काम चल रहे हैं. इस तरह से भारत की विकास यात्रा में नये आवाम जुड़े हैं. आर्थिक मंदी के दौर में भी तेजी से विकास करने वाला अर्थव्यवस्था बना है. हम एजेंडा 2030 को लागू कर रहे हैं.

संसद के एक सत्र में एक दिन हम केवल इस पर चर्चा करेंगे. एजेंडा 2030 को सफल बनाने के लिए सभी देश काम कर रहे हैं. उन्हें अंतरराष्ट्रीय सहयोग मिलेगा तो बेहतर काम करेंगे. जलवायु परिवर्तन एक अहम मु्ददा है. प्रकृति के साथ न्याय करना बेहद जरूरी है. कहीं भयंकर वर्षा, कई सुनामी, संकेत दे रही है. हमें प्रकृति से संतुलन बनाने के लिए यह काम करना होगा. योग पर मिल रहा आपका समर्थन मिल रहा है. विकसित देश अपनी जिम्मेदारी समझें तकनीक भी दें और धनराशि भी. हमने 40 प्रतिशत ऊर्जा बनाने का लक्ष्य रखा है. इंटरनेशनल सोलर अलाइंस के लिए भी हम प्रयास कर रहे हैं.

सभी वक्ताओं को 10 मिनट का समय दिया गया है. उरी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को लेकर कड़ा रुख अपनाया है. इस हमले के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में आतंकी बुरहान वानी को नेता करार दिया था और कश्‍मीर का राग अलापा था. शरीफ ने महासभा में अपने संबोधन के दौरान ज्यादा ध्यान कश्मीर पर ही केंद्रित रखा था.

संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र में भारत के प्रमुख फोकस को रेखांकित करते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत सैयद अकबरुद्दीन ने कहा था कि आतंकवाद भारत के साथ-साथ विश्वभर के देशों के लिए ‘प्राथमिक चिंता’ का विषय है. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सुधारों, सतत विकास, जलवायु परिवर्तन और शांति रक्षा जैसी अन्य प्राथमिकताओं को भी सूचीबद्ध किया और इन्हें महासभा के मौजूदा सत्र में भारत की प्राथमिकता बताया.

स्वरुप ने 23 सितंबर को यहां संवाददाताओं से कहा कि ‘‘पूरा विश्व और पूरा देश’ सुषमा स्वराज का संबोधन सुनने का इंतजार कर रहा है. वह 71वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा के लिए भारत का ‘विजन दस्तावेज’ पेश करने वाली हैं. उन्होंने कहा था, ‘‘हम सभी उसका (संबोधन का) इंतजार कर रहे हैं.’ हालांकि उन्होंने सुषमा के संबोधन में शामिल बातों पर विस्तृत जानकारी नहीं दी लेकिन यह कहा कि ‘‘पूरा विश्व और पूरा देश यह सुनने का इंतजार कर रहा है कि विदेश मंत्री क्या कहने वाली हैं? लेकिन मुझे लगता है कि मोटे तौर पर जिन मुद्दों को अकबरुद्दीन ने रेखांकित किया है, वह निश्चित तौर पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के इस सबसे अहम मंच पर हमारे प्रतिनिधित्व का हिस्सा बनने वाले हैं.’ स्वरुप ने कहा कि आप ‘‘आतंकवाद के मुद्दे को भारत द्वारा लगातार केंद्र में रखे जाने की उम्मीद कर सकते हैं, जो इस समय निश्चित तौर पर अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा पर मंडराने वाला एकमात्र सबसे बडा खतरा है.’

जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर शरीफ की ओर से लगाए गए बड़े आक्षेपों के बाद अपने जवाब के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में प्रथम सचिव ई. गंभीर ने कहा था, ‘‘ मानवाधिकारों का सबसे बड़ा उल्लंघन आतंकवाद है.’ उन्होंने कहा, ‘‘आतंकवाद का इस्तेमाल जब सरकारी नीति के तौर पर किया जाता है, तो यह युद्ध अपराध होता है. मेरा देश और हमारे अन्य पड़ोसी पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को प्रायोजित करने वाली दीर्घकालिक नीति का सामना कर रहे हैं.

इसके परिणाम हमारे क्षेत्र के पार तक फैले हुए हैं.’ उन्होंने कहा था कि भारत पाकिस्तान को एक ‘आतंकी देश’ के रुप में देखता है, जो अपने पडोसियों के खिलाफ आतंकियों के माध्यम से छद्म युद्ध छेड़ने के क्रम में आतंकी समूहों को प्रशिक्षण, वित्त पोषण और सहयोग देने के लिए अरबों डॉलर जुटाता है. इसका अधिकतर हिस्सा अंतरराष्ट्रीय मदद से आता है.

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