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खून पानी एक साथ नहीं बह सकता

पकिस्तान पर प्रधानमंत्री मोth11_pms_2469234g_2469752fदी का सख्त रुख

 

 

 

 

 

 

सिधु जल समझौते पर भारत सरकार सख्त हो गई है. आज सिंधु जल समझौते पर बैठक के बाद पीएम मोदी ने बयान दिया कि खून और पानी एक साथ नहीं बहेगा. सरकार सिंधु जल समझौते पर पुनर्विचार कर सकती है. सूत्रों के हवाले से खबर है कि सरकार पाकिस्तान का पानी कम कर सकती है.बैठक में भारत से पाकिस्तान को पानी नियंत्रित करने वाली व्यवस्था ‘पर्मानेंट इंडस कमीशन’ की बैठक को आतंकवाद मुक्त माहौल बनने तक रोकने का फैसला किया गया है.

बैठक में एक अहम फैसले के तहत टुलबुल नेवीगेशन सिस्टम जिसे भारत से सस्पेंड कर दिया था अब भारत उस पर भी पुनर्विचार करेगा. अगर पाकिस्तान अपना रवैया नहीं बदलता है तो इसे दोबारा शुरू किया जा सकता है.पीएम मोदी की बैठक में एक inter ministerial task force बनाने का फैसला भी लिया है. यह टास्क फोर्स तय करेगी कि भारत कैसे और मजबूती के साथ पश्चमी नदियों के पानी के इस्तेमाल पर अपनी दावेदारी पेश कर सकता है. 1960 में समझौते के मुताबिक अभी भारत पूर्वी नदियों का पानी इस्तेमाल करता है.इस के साथ बैठक में पीएम मोदी ने कहा कि तीन नए बांध जिन पर अभी तक काम शुरू नहीं हुआ उन्हें जल्द से क्लीयर काम शुरू किया दाए. एक बात स्पष्ट तौर पर बताना जरूरी है कि सिंधु जल समझौते को रद्द करने पर अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है.पीएम मोदी ने चीन को लेकर उठ रही चिंताओं पर भी बैठक में बात रखी. पीएम ने कहा कि जब चीन संधिका हिस्सा है ही नहीं तो चिंता करने की कोई बात नहीं. दरअसल कहा जा रहा था कि चीन भारत के लिए सिंधु नदी का पानी रोक सकता है.  1960 में हुए समझौते के तहत आने वाली 6 नदियों में से एक सिंधु नदी की शुरुआत चीन से और दूसरी नदी सतलुज की शुरुआत तिब्बत से होती है.एक आशंका के मुताबिक कहा जा रहा था कि गर चीन ने भारत में आने वाले पानी को ही रोक दिया तो फिर हमारे यहां भाखड़ा डैम, कारचम वांगटू हाईड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट और नाथपा झाकरी डैम में पनी नहीं आएगा.

आपको बता दें कि 56 साल पहले 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु नदी समझौता हुआ था. इसके तहत सिंधु बेसिन में बहने वाली छह नदियों में से सतलुज, रावी और ब्यास पर भारत का पूर्ण अधिकार है. . संधि के मुताबिक भारत इन नदियों के पानी का कुल 20 फीसद पानी रोक सकता है.

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