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नौकरशाही जनता की सेवा के लिए है, उसी भाव से अधिकारी और नेता को काम करना चाहिए: राजनाथ सिंह

लखनऊ। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आइएएस होने का अहंकार मन में नहीं आना चाहिए। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को छोड़कर लगभग सभी राजनीतिक पद पर रहते हुए अनेक अफसरों के साथ काम किया है जिस दिन अधिकारी में अहंकार आ गया, उस दिन से वह अपने कद को छोटा करता गया। नौकरशाही जनता की सेवा के लिए है, उसी भाव से अधिकारी और नेता को काम करना चाहिए।

रक्षामंत्री रविवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में ध्येय फाउंडेशन की ओर से आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे उन्होंने सिविल सेवा में चयनित अभ्यर्थियों का स्वागत करते हुए कहा कि वह देश के हित में, जनता के हित में कार्य करने का संकल्प लेकर आगे बढ़े। उन्होंने कहा कि राजनीति और नौकरशाही में आज विश्वास का संकट है। जिस दिन अधिकारी ‘हां’ और राजनेता ‘ना’ बोलना सीख गए। यह विश्वास का संकट दूर हो जाएगा।

उन्होंने कहा कि हमें अपने गुरुजनों का सम्मान हर समय करना चाहिए। भले ही आप कितने महत्वपूर्ण पद पर पहुंच गए हो, ज्ञान देने वाले गुरु का चरणस्पर्श करने में संकोच नहीं करना चाहिए। रक्षामंत्री ने अपने जीवन के कई अनुभव साझा करते हुए कहा कि हमें धैर्य और संयम का साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए, एक सुपरपावर है, जिसकी नजर हर समय रहती है। अगर आप ईमानदारी से काम करते हैं तो आपको हर उपलब्धि हासिल होगी।

वर्ष 2047 तक देश को विकसित राष्ट्र बनाने में युवाओं की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते कहा कि भारत अब बोलता है तो पूरी दुनिया कान खोलकर सुनती है। प्रधानमंत्री अमेरिका जाने वाले हैं, उनके स्वागत के लिए अमेरिका तैयारी कर रहा है। यह देश के बढ़ते कदम को बताता है। कार्यक्रम में उन्होंने बेटियों के लिए निःशुल्क कोचिंग और सुविधा दिए जाने के लिए ध्येय को बधाई दी। संस्था के संचालक विनय सिंह ने स्वागत भाषण दिया। कार्यक्रम में सिविल सेवा में सफल प्रतिभागियों को सम्मानित किया गया। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह लखनऊ के तीन दिवसीय दौरे पर हैं।

रक्षामंत्री ने कहा, “नेता हर बात के लिए हां कह रहे हैं, यहां तक कि उन चीजों के लिए भी जो वे नहीं कर सकते हैं। इससे जनता का राजनेताओं पर से विश्वास उठ रहा है और भारत की राजनीति में विश्वसनीयता का संकट पैदा हो रहा है। मैंने राजनीतिक जीवन में कभी अहंकार नहीं पाला, जिस दिन व्यक्ति के अंदर अहंकार आ जाता है। उसी दिन से उसका पतन शुरू हो जाता है। इसलिए कभी मन में अहंकार नहीं आना चाहिए।”

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