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उत्तराखंड: देवघर रोपवे हादसे के बाद मसूरी-हरिद्वार में पर्यटक परेशान, संचालन की सुरक्षा व्यवस्था पर लोगों का गया ध्यान

पहाड़ों की रानी मसूरी में भी रोपवे सैलानियों के बीच बेहद लोकप्रिय है। झारखंड के देवघर में हुए हादसे ने यहां की सुरक्षा के बारे में भी लोगों को बेचैन कर दिया है। मसूरी के रोपवे संचालकों ने भी दावा किया है कि यहां रोपवे सुरक्षित है। इसमें सुरक्षा पर और भी ज्यादा ध्यान दिया जाएगा।

मसूरी नगर पालिका मालरोड पर झूलाघर करीब तीन सौ मीटर की ऊंचाई पर स्थित गनहिल तक पहुंचने के लिए रोपवे का संचालन करती है। रोपवे को पालिका ने ठेके पर दिया है। मसूरी में नगर पालिका द्वारा रोपवे से संचालित एक ट्राली ऊपर जाती है और एक नीचे आती है। रोपवे नगर पालिका परिषद के मैनेजर अमित बंगवाल ने बताया कि एक ट्राली में करीब बारह लोग सवार होते हैं। अगर यात्रियों का वजन अधिक होता है तो कम संख्या में लोगों को ट्राली में बैठाया जाता है। उनका दावा है कि कि यहां ट्राली की सुरक्षा में किसी तरह की ढिलाई नहीं बरती जाती है।

बताया कि इमरजेंसी की दशा में ट्राली को संभालने के लिए तीन मोटर लगाने के साथ ही हैंडलिंग सिस्टम भी लगाए गए हैं। साथ ही थ्रेसर और सेंसर ब्रेक भी लगाए गए हैं। रेस्क्यू के लिए प्ले हैडलिंग सिस्टम लगाया गया। दावा किया गया कि हर दिन संचालन से पूर्व ट्राली की चेकिंग की जाती है। हर तीसरे माह रोपवे की रोप (लोहे की रस्सी) को बदला जाता है।

वहीं देवघर की त्रिकुट पहाड़ियों में रोपवे पर हादसा होने के बाद हरिद्वार में भी लोग परेशान हो उठे। धर्मनगरी में मां मनसा देवी और मां चंडी देवी के लिए रोपवे का संचालन होता हे। उषा ब्रेको कंपनी के माध्यम से इन रोपवे को संचालित किया जाता है। रोपवे से प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु यात्रा करते हैं। उषा ब्रेको कंपनी के महाप्रबधक मनोज डोभाल ने बताया कि साल में दो बार रोपवे की मरम्मत की जाती है। साल में एक बार 10 दिन के लिए रोपवे को बंद किया जाता है। छह माह में एक बार छह दिन के लिए बंद किया जाता है। मनसा देवी रोपवे पर 26 ट्रालियां है। जबकि चंडी देवी मंदिर पर 42 ट्रालियां संचालित होती है। मनोज डोभाल ने बताया कि उनकी कंपनी 42 साल से देशभर में नौ रोपवे संचालित कर रही है।

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