LIVE : पालघर में साधुओं पर हुई हिंसा पर बोले RSS प्रमुख मोहन भागवत
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉक्टर मोहन भागवत ने (आरएसएस) के नागपुर महानगर की ओर से प्रस्तावित बौद्धिक वर्ग को ऑनलाइन संबोधित किया।
अपने संबोधन में उन्होंने ‘वर्तमान परिदृश्य और हमारी भूमिका’ की विषय सबके सामने रखा।साथ ही उन्होंने अपने सम्बोधन में पालघर में हुई साधुओं के साथ हिंसा को भी ग़लत कहा है। उन्होंने ने कहा कि साधुओं को पूरा देश श्रद्धांजलि दे रहा है।
आइए जानते हैं उन्होंने कार्यक्रम में क्या कुछ कहा-
– जब तक कोरोना ना मिटे सेवा करते रहिए
– संघ ने अपने सभी कार्यक्रम 30 जून तक स्तघित कर दिए हैं
– ये महामारी अवश्य ही ख़त्म होगी
– अपनो की सेवा है सबसे बड़ी सेवा
– लोग आदत सुधारेंगे तो बीमारी से बचेंगे
– सब काम देख रहे हैं और हौंसला बढ़ा रहे हैं
– इस समय सब अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें
– कवारंटिन के डर से लोग छिप रहे हैं
– दोष रखने वाले लोग सब जगह होते हैं
– कोई छूट ना जाए इसलिए सबका ख़्याल रखना ज़रूरी है
– भड़काने वालों के बहकावे में न आएं
– भय और क्रोध पर क़ाबू रखें
– पालघर के साधुओं के साथ जो हुआ वो ग़लत था
– लॉकडाउन के बाद भी सोशल डिस्टन्सिंग रखें
ख़बर विस्तार में –
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार शाम कोविड-19 महामारी मुद्दे पर ऑनलाइन बातचीत की।
उन्होंने कहा कि हम सभी को स्वदेशी का आचरण अपनाना होगा। स्वदेशी का उत्पादन गुणवत्ता में बिल्कुल 19 ना हों, कारीगर, उत्पादक सभी को यह सोचना होगा।
समाज और देश को स्वदेशी को अपनाना होगा। विदेशों पर अवलंबन नहीं होना होगा।हमयहां की बनी वस्तुओं का उपयोग करेंगे। अगर उसके बगैर जीवन नहीं चलता है तो उसे अपनी शर्तों पर चलाएंगे। यह पहला मौका था जब भागवतने किसी वर्चुअल प्लेटफॉर्म के जरिए अपना संबोधन दिया।
उन्होंने कहा कि सामान्य सूचनाएं सबके लिए हैं। विशेष परिस्थितियां भी हैं, उनमें सबको राहत मिल जाए ये भी ध्यान रखना होगा। अपनी सेवा के दायरे में हर कोई आ जाए, अनुशासन को इतना लचीला रखना है। आदतें भी लोगों की ठीक रखनी चाहिए। लोगों को अनुभव हो गया है और वे तैयार हैं तो हमें भी अच्छाई का प्रचार-प्रसार करना चाहिए।
भागवत ने कहा, “हमें धैर्य रखना है। कितने दिन की नहीं सोचना है, लगातार कामकरते रहना है। विदुरनीति में कहा गया है कि जिस पुरुष को अपनी जीत चाहिए, अपना अच्छा चाहिए उसे 6 दोषों को खत्म करना होता है। आलस्य और दीर्घ सूत्रता काम की नहीं है, तत्परता चाहिए।”
उन्होंने आगे कहा कि भारत ने आलस्य नहीं किया और जल्द फैसला लिया। निद्रा और तंद्रा यानी असावधानी। सोच-समझकर काम करना। भय और क्रोध को टालना। लोगों को भय है कि क्वारैंटाइन में डाल देंगे तो छिपने का प्रयास करते हैं। नियमों में बांध दिया तो भावना उनकी यह रहती है कि हम पर ऐसा कुछ ना हो। भड़काने वाले भी कम नहीं है, इससे क्रोध होता है और फिर अतिवादी कृत्य होते हैं।
भागवत ने कहा- कोरोना से लड़ाई में सब अपने हैं। हम मनुष्यों में भेद नहीं करते। सेवा में कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है। जो भी काम में लगे हैं सेवा के, उन्हें साथ में लेकर काम करना है। हमारी सेवा का आधार अपनत्व की भावना, स्नेह और प्रेम है। उन्होंने कहा-काम करते-करते हम बीमार ना हों, इसका ध्यान रखना है। हाथ धोना, मास्क लगाना, दवा लेना ये जरूरी है। बहुत सावधानी पूर्वक और सजगता से काम करना होगा। जिसे आवश्यकता है, उसके पास मदद पहुंचे, ऐसा काम करना होगा।
संघ प्रमुख ने अपनी बात रखते हुए आगे कहा- किसी ने भयवश या क्रोध वक्त किसी ने कुछ कर दिया तो हमें यह ध्यान रखना है कि हमारे देश का विषय है और हमारी भावना सहयोग की रहेगी, विरोध की नहीं रहेगी। राजनीतिक आ जाती है, जिन्हें करना है वो करते रहेंगे।
“130 करोड़ का समाज भारत माता का पुत्र है और हमारा बंधु है। अगर कोई घटना होती है तो प्रतिक्रिया नहीं देनी है। भय और क्रोधवश होने वाले कृत्यों में हमें नहीं होना है और ये सभी अपने समाज को बताएं।” संघ प्रमुख ने आगे कहा।
पालघर हिंसा पर बोले मोहन भागवत –
दो संन्यासियों की हत्या हुई, उसे लेकर बयानबाजी हो रही है। लेकिन, ये कृत्य होना चाहिए क्या, कानून हाथ में किसी को लेना चाहिए क्या, पुलिस को क्या करना चाहिए? संकट के वक्त ऐसे किंतु, परंतु होते हैं, भेद और स्वार्थ होता है। हमें इन पर ध्यान ना देते हुए देशहित में सकारात्मक बनकर रहना चाहिए।संन्यासियों की हत्या हुई, पीट-पीटकर उपद्रवियों ने मार डाला। वे संन्यासी मानव पर उपकार करने वाले लोग थे।
संघ प्रमुख ने आगे कहा कि लॉकडाउन की अवश्यकता नहीं रहेगी, ये बीमारी जाएगी। लेकिन, जो अस्त-व्यवस्त हुआ है, उसे ठीक करने में वक्त लगेगा। कई जगह ऐसा हुआ कि छूट मिली तो भीड़ जमा हो गई। अब आने वाले वक्त में विद्यालय खुलेंगे तो इसके बारे में भी सोचना पड़ेगा। बाजार, फैक्ट्री, उद्योग शुरू होंगे और तब भी भीड़ नहीं होगी.. इसके बारे में चिंता करनी चाहिए। फिर से यह बीमारी ना आए इसके लिए समाज को दिशा देने का काम हमें करते रहना होगा।
आरएसएस चीफ ने कहा- रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़े इसके लिए योग हैं, आसन हैं। अब इसके लिए परिवार में संस्कार का वातावरण होना चाहिए। इसके प्रयास हमें करने पड़ेंगे। हमें अपनी सेवा से सबको जोड़ना पड़ेगा और सबका सहयोग जुटाना पड़ेगा। पहली बार विश्व ऐसी स्थिति का सामना कर रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा सरपंचों से कि संकट ने हमें स्वावलंबन की सीख दी है।
भागवत ने कहा- बहुत दिनों के बाद भागदौड़ बंद हो गई तो अपने घर में लगातार रहने का अनुभव लोगों को मिला। संवाद, समझदारी और समरसता बढ़ती है। जहां अनुशासन है वहां कोरोना रुका है। जहां अनुशासन नहीं है, वो भूभाग चपेट में है संक्रमण की। डॉ. अंबेडकर ने भी कानून-नियमों के पालन पर बहुत जोर दिया है।
“समाज में सहयोग, सद्भाव और समरसता का माहौल बनाना होगा। शासन समाज के हिसाब से नीति बनाएगा, राजनीतिक स्वार्थमूलक होकर देश के हिसाब से करनी होगी। हमारी भूमिका विश्व में यही है कि इस संकट को अवसर बनाकर एक नए भारत का उत्थान करें।” आरएसएस चीफ़ ने आगे कहा ।