मप्र : वनभूमि पर काबिज लोगों ने लिया लामबंदी का संकल्प
भोपाल, 2 मार्च (आईएएनएस)| वनाधिकार के अंतर्गत गलत तरीके से खारिज किए गए दावों और बेदखली की आशंका के बीच मध्य प्रदेश की राजधानी में जमा हुए प्रभावित परिवारों ने शनिवार को लामबंद होकर लड़ाई लड़ने का फैसला लिया। इसके लिए मध्य प्रदेश भूमि संघर्ष मोर्चा का गठन किया गया। राजधानी के गांधी भवन में आयोजित सम्मलेन में एकता परिषद के संस्थापक पी.वी. राजगोपाल ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी आदेश और उसके बाद दिए गए स्थगन का जिक्र करते हुए कहा कि वर्तमान समय में हालात बदलने के लिए आदिवासी और वनवासी समाज को अपनी ताकत बढ़ानी होगी और इसके समाधान के लिए व्यापक आंदोलन करना पड़ेगा।
एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष रनसिह परमार ने कहा कि वन अधिकारों की मान्यता कानून को लागू करने में की गई हीलाहवाली का सीधा असर साढ़े तीन लाख आदिवासी परिवारों पर पड़ा है, जिसके कारण गरीब और वंचित समुदाय की आजीविका और सम्मान पर संकट है।
सम्मेलन में पहुंचे पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुरेश पचौरी ने कहा कि आदिवासी हितों की रक्षा के लिए हर एक कदम उठाया जाएगा। कांग्रेस के विधायक कुणाल चौधरी ने कहा कि प्रकृति के मूलभाव को अपनाने वाले आदिवासी समाज को वन क्षेत्र से बेदखल नहीं किया जाएगा और सभी को उनका हक मिलेगा। कांग्रेस और आदिवासी समाज के युवा नेता डा़ॅ विक्रांत भूरिया ने कहा कि पार्टी आदिवासी हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्व है।
वरिष्ठ पत्रकार नंदलाल सिह ने कहा कि कानूनों की जानकारी समुदाय तक पहुंचाकर व्यापक एकजुटता के साथ आंदोलन की जरूरत है। सामाजिक कार्यकर्ता संतोष द्विवेदी ने कहा कि सरकार निरस्त दावों को बहाल करे।
सामाजिक कार्यकर्ता मनीष राजपूत ने गरीब, आदिवासियों के हित में हर संभव लड़ाई लड़ने का आह्वान किया। ग्वालियर से आए डोंगर शर्मा ने कहा कि देवगढ़ के आदिवासी परिवार अपनी खेती कर पेट पाल रहे हैं, लेकिन उनको वनाधिकार नहीं मिल पा रहा है।
एकता परिषद के अनिल गुप्ता और अनीश कुमार ने बताया कि सम्मेलन के दौरान विभिन्न क्षेत्रों से आए मुखियाओं के संयुक्त भागीदारी से मध्य प्रदेश भूमि संघर्ष मोर्चा का गठन किया गया। मोर्चा आने वाले दिनों में गांव-गांव अभियान चलाकर वनाधिकार के निरस्त व्यक्तिगत और सामुदायिक दावों को बहाल करने के लिए पुनर्दावा का कार्य करेगी और जरूरत पड़ने पर ग्रामसभा से विधानसभा तक संघर्ष भी करेगी।