भारत ने लिया पाकिस्तान को पानी रोकने का फैसला (
नई दिल्ली, 21 फरवरी (आईएएनएस)| पुलवामा आतंकी हमले को लेकर लगातार सख्त रुख अख्तियार करते हुए भारत ने गुरुवार को पाकिस्तान को पूर्वी क्षेत्र की नदियों से मिलने वाले अपने हिस्से के पानी पर रोक लगाने का फैसला लिया। पाकिस्तान को भारत से पाकिस्तान की ओर प्रवाहित होने वाली तीन नदियों व्यास, रावी और सतलुज का पानी मिलता है।
जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी ने एक ट्वीट के जरिए कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमारी सरकार ने पाकिस्तान को प्रवाहित होने वाले अपने हिस्से का पानी रोकने का फैसला लिया है। हम पूर्वी नदियों के पानी के प्रवाह का मार्ग बदल देंगे और इसकी आपूर्ति जम्मू एवं कश्मीर और पंजाब में अपने लोगों को करेंगे।”
एक और ट्वीट में उन्होंने कहा कि रावी नदी पर शाहपुर-कंडी में बांध का निर्माण शुरू हो गया है। इसके अतिरिक्त, उझ परियोजना में भारत के हिस्से का पानी जम्मू एवं कश्मीर में उपयोग के लिए संग्रह किया जाएगा और बचा हुआ पानी दूसरे रावी-व्यास लिंक से प्रवाहित होगा जो दूसरे राज्यों को मिलेगा।
उन्होंने कहा कि उपर्युक्त सभी परियोजनाएं राष्ट्रीय परियोजनाएं घोषित की गईं हैं।
इससे पहले भारत ने पाकिस्तान से सबसे तरजीही राष्ट्र (एमएफएन) का दर्जा वापस लेकर पाकिस्तान से आयातित सभी वस्तुओं पर 200 फीसदी आयात शुल्क लगा दिया था।
ये सारे फैसले जम्मू एवं कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को हुए आतंकी हमले के बाद लिए गए हैं, जिसमें केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 40 जवान शहीद हो गए थे। पाकिस्तान स्थित आतंकी गुट जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) ने इस हमले को अंजाम देने का दावा किया है।
भारत ने पाकिस्तान को काफी संदेश दिए हैं कि 14 फरवरी के आतंकी हमले का बदला लिया जाएगा।
इस बीच बागपत में जनसभा को संबोधित करते हुए गडकरी ने कहा कि विभाजन के बाद भारत को तीन नदियां मिलीं लेकिन उन नदियों का पानी पाकिस्तान को प्रवाहित हो रहा है।
उन्होंने कहा, “पानी का मार्ग बदलकर यमुना की ओर किया जाएगा। मतलब यमुना में ज्यादा पानी होगा।”
सिंधु जल संधि के तहत भारत और पाकिस्तान के बीच जल बटवारे का समझौता हुआ है। समझौते के तहत भारत तीन ‘पूर्वी नदियों’ व्यास, रावी और सतलुज के प्रवाह का 33 मिलियन (3.3 करोड़) एकड़ फीट पानी (एमएएफ) पर नियंत्रण भारत को प्रदान किया गया।
वहीं, भारत की ‘पश्चिमी नदियों’ सिंधु, चेनाब और झेलम के प्रवाह का 80 एमएएफ पानी पर नियंत्रण पाकिस्तान को दिया गया।