निर्वाचित मुख्यमंत्री सड़क पर, चुनाव हारा व्यक्ति शासन कर रहा : केजरीवाल
पुडुचेरी, 18 फरवरी (आईएएनएस)| दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को एक निर्वाचित मुख्यमंत्री के सड़क पर बैठने और दिल्ली चुनाव में हारे हुए व्यक्ति द्वारा उपराज्यपाल के रूप में पुडुचेरी पर शासन करने को ‘लोकतंत्र का मजाक’ करार दिया। अपने पुडुचेरी समकक्ष वी. नारायणसामी से मुलाकात करने के लिए पहुंचे केजरीवाल ने कहा कि नारायणसामी लोगों के चुने हुए प्रतिनिधि हैं जबकि बेदी को बस भाजपा नीत केंद्र सरकार ने उपराज्यपाल के रूप में नियुक्त किया है।
नारायणसामी सरकार के कामकाज में बेदी द्वारा कथित हस्तक्षेप और कल्याणकारी योजनाओं को बाधित करने को लेकर पिछले छह दिनों से धरना दे रहे हैं।
2015 दिल्ली विधानसभा चुनावों में बेदी की हार के संदर्भ में उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति, जिसे लोगों ने हराया था वह लोगों पर शासन कर रहा है और लोगों द्वारा चुना गया व्यक्ति उनके निवास के बाहर धरने पर बैठा है।
केजरीवाल ने कहा, “यह लोकतंत्र का मजाक है।”
उन्होंने कहा कि यह बात उनकी आम आदमी पार्टी (आप) की या नारायणसामी की कांग्रेस की नहीं हैं। वह और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पुडुचेरी के मुख्यमंत्री के साथ अपनी एकजुटता दिखाने के लिए यहां पहुंचे हैं।
उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री, मंत्रियों और विधायकों को सड़कों पर बैठे देखना हैरानी भरा है।”
नारायणसामी ने कहा कि दो केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली व पुडुचेरी केंद्र सरकार की मनमानी से जूझ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि दोनों केंद्र शासित प्रदेशों के लिए पूर्ण राज्य का दर्जा ही एकमात्र समाधान है।
उन्होंने कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जाती, तब तक वह अपना विरोध जारी रखेंगे।
एक ट्वीट में केजरीवाल ने कहा, “पुडुचेरी के लोगों के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए पुडुचेरी के मुख्यमंत्री से मुलाकात की और वह पुडुचेरी के उप राज्यपाल की तानाशाही के खिलाफ लड़ रहे नारायणसामी की लड़ाई का समर्थन करते हैं।”
उन्होंने कहा कि दिल्ली और पुडुचेरी को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा उनके लोगों के लिए अन्याय है।
केजरीवाल ने कहा, “हम पूर्ण राज्य के दर्जे के लिए साथ मिलकर लड़ाई लड़ेंगे।”
पिछले साल जून में दिल्ली के उप राज्यपाल अनिल बैजल के खिलाफ राज निवास के भीतर सिसोदिया और दो अन्य कैबिनेट मंत्रियों ने इसी तरह का धरना दिया था।
सिसोदिया ने ट्वीट कर कहा, “लोग अपने मामलों को देखने के लिए राज्य सरकारों को चुनते हैं। लेकिन, पीएमओ (प्रधानमंत्री कार्यालय) उन्हें उप राज्यपाल के माध्यम से निष्क्रिय बनाने की कोशिश करता है। पिछले पांच वर्षो में मोदीजी की यह एकमात्र उपलब्धि है।”