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राजनीतिक दलों का संचालन कार्यकर्ताओं के दान से हो न कि कालेधन से : शाह

नई दिल्ली, 11 फरवरी (आईएएनएस)| भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष अमित शाह ने चुनाव के लिए धन की शुचिता पर जोर देते हुए सोमवार को कहा कि राजनीतिक दलों का संचालन कार्यकर्ताओं के दान से होना चाहिए न कि अमीरों के कालेधन से। पार्टी विचारक व संरक्षक पंडित दीन दयाल उपाध्याय की 51वीं पुण्यतिथि पर आयोजित एक कार्यक्रम में यहां भाजपा अध्यक्ष ने कहा, “दीन दयाल उपाध्यायजी इस बात पर जोर देते थे कि अगर पार्टी को स्वच्छ रखना है तो स्वच्छ वित्तपोषण जरूरी है।”

शाह ने कहा, “अगर साधन शुद्ध नहीं है तो शुचिता से लक्ष्यों की प्राप्ति नहीं हो सकती है। अगर कोई पार्टी अमीरों के दान और कालेधन से चलती है तो उसका लक्ष्य दूषित हो जाता है।”

उन्होंने कहा कि खुद रानीतिक दल के अध्यक्ष के रूप में वह कह सकते हैं कि भाजपा अपने सारे चुनावी खर्च का प्रबंध पार्टी के कार्यकर्ताओं से प्राप्त योगदान से नहीं कर सकती है। उन्होंने कहा, “यह संभव नहीं है।”

उन्होंने चुनावी खर्च को लेकर एक सार्वजनिक बहस और चुनाव के लिए वित्तपोषण में ईमानदारी की आवश्यकता पर बल दिया।

उन्होंने कहा, “इस तरह की कवायद भाजपा के नेतृत्व में शुरू होगी।”

राजनीतिक दलों को मिलने वाले दान में पारदर्शिता लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का स्वागत करते हुए शाह ने कहा, “मोदी सरकार ने राजनीति में काले धन के प्रभुत्व पर लगाम लगाने के लिए कदम उठाते हुए नकदी में दान की सीमा 2,000 रुपये तय की है।”

उन्होंने कहा कि सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ इतने सख्त कानून बनाए हैं कि इनको तोड़ने वाले या तो पकड़े जा रहे हैं या दिल्ली की सर्दी में भी उनको पसीने छूट रहे हैं।

भाजपा अध्यक्ष ने दावा किया कि भगोड़े कारोबारी विजय माल्या और नीरव मोदी को देश के सख्त कानून के ताप का अनुभव हो रहा है। उन्होंने कहा, “कानून की पकड़ में आने के डर से वे देश से भाग खड़े हुए।”

भाजपा के गठन में उपाध्याय की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए शाह ने कहा, “उन्होंने ऐसी पार्टी बनाई जिसका संचालन इसके नेताओं के आभामंडल से नहीं बल्कि पार्टी के कार्यकर्ताओं और संगठन से होता है।”

उन्होंने कहा कि उपाध्याय ने पार्टी को मजबूत बनाने और इसकी विचारधारा को स्वीकार्य बनाने के लिए काम किया और इस बात पर जोर दिया कि पार्टी को घटिया साधनों से चुनाव नहीं जीतना चाहिए।

 

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