युवा लोक कला रूपों को संरक्षित करें : उपराष्ट्रपति
सिकंदराबाद, 13 जनवरी (आईएएनएस)| उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने युवा पीढ़ी से भारतीय त्योहारों में निहित समृद्ध और विविध परंपराओं को समझने का रविवार को यहां आग्रह किया और भारतीय असाधारण संस्कृति और लोक कला रूपों को संरक्षित करने, बढ़ावा देने और समृद्ध करने का आह्वान किया।
उन्होंने यहां परेड मैदान में चौथे अंतर्राष्ट्रीय पतंग महोत्सव और द्वितीय अंतर्राष्ट्रीय मिष्ठान महोत्सव का उद्घाटन करते हुए कहा कि त्योहार सामाजिक जुड़ाव के अवसर होते हैं और सांप्रदायिक सौहार्द्र और राष्ट्रीय अखंडता की भावना पैदा करते हैं।
उन्होंने कहा कि त्योहार हमारी परंपराओं और विरासत के नवीकरण, कायाकल्प और पुनरुद्धार के प्रतीक हैं और आज की तेजी से भागती दुनिया में एकजुटता, एकता, प्रेम और भाईचारे की भावना लाते हैं।
उन्होंने कहा, “हम ऐसे त्योहारों के दौरान परिवारों और समुदायों के एक साथ आने के प्रत्यक्षदर्शी बनते हैं। ये सामाजिक जुड़ाव के लिए भी अवसर हैं।”
फसल त्योहार मकर संक्रांति, जो कि जीवन और उत्साह का जश्न है, का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण त्योहार महान ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व रखता है। यह सूर्य देव का त्योहार है जिसे अक्सर देवत्व का प्रतीक और ज्ञान के रूप में माना जाता है।
उपराष्ट्रपति ने कुछ समय पतंगबाजी में भी व्यतीत किया। नायडू ने कहा कि पतंगबाजी से जुड़ा आकर्षण उम्र, वर्ग और समुदाय से ऊपर है। उन्होंने कहा कि पतंग उड़ाना एक जबरदस्त अनुभव है। यह देखते हुए कि पतंग बनाना एक कला है, उपराष्ट्रपति ने कहा कि इसके लिए कौशल, सटीकता, समर्पण और कल्पनाशीलता की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि भारत की जबरदस्त विविधता और बहुलता ने इसे कई रंगीन त्योहारों का घर बना दिया है। उन्होंने त्योहारों से जुड़े अर्थो और मूल्यों को समझने की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि प्रकृति से भी इनके गहरे संबंध हैं।
मिष्ठान पर्व में विभिन्न देशों की 1200 मिठाइयों के प्रदर्शन का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि मिठाइयां जीवन में होने वाली मीठी घटनाओं की प्रतीक हैं और भारतीय पाक परंपरा में भी प्रमुख स्थान रखती हैं। नायडू ने कहा कि वे समृद्धि, खुशी और प्रचुरता का प्रतीक हैं और समारोहों का आनन्द बढ़ा देती हैं।
इस पतंग महोत्सव में विदेश के 42 और भारत के 60 पेशेवर पतंगबाज भाग ले रहे हैं।