देश में सांस्कृतिक पुनर्जागरण की जरूरत : उपराष्ट्रपति
हैदराबाद, 13 जनवरी (आईएएनएस)| उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने रविवार को भारत की पुरातन परंपराओं और रीति-रिवाजों के प्रचार और अनुसरण के द्वारा देश में एक सांस्कृतिक पुनर्जागरण का सृजन करने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा, “आइए हम पुरातन भारतीय रीति-रिवाजों और परंपराओं की ओर लौटें, स्वस्थ जीवन के लिए पारंपरिक आहार आदतों को अपनाएं और योग का अभ्यास करें, मातृभाषा और भारतीय परिवार प्रणाली की सुरक्षा करें।”
हैदराबाद में, संक्रांति और स्वर्ण भारती ट्रस्ट की दूसरी वर्षगांठ के अवसर पर उपराष्ट्रपति ने कहा कि समय आ गया है कि सभी भारतीय अपनी जीवनशैली में बदलाव को अपनाएं और स्वस्थ जीवन के पुराने पारंपरिक तरीकों पर लौट आएं। हमें अपने पूर्वजों के रीति-रिवाजों और प्रथाओं का पालन करने और पश्चिमोन्मुखी जीवनशैली को छोड़ने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा, “पारंपरिक भोजन की आदतें, स्वाद और रीति-रिवाज न केवल समय की कसौटी पर खरा उतरे, बल्कि वे स्वस्थ भी थे, क्योंकि वे प्रत्येक मौसम और क्षेत्र की आवश्यकताओं के अनुरूप ढले हुए थे। हमें अपने सरल, लेकिन प्रभावी जीवन जीने के तरीकों से स्वस्थ आहार की आदतों और जीवनशैली को अपनाने के लिए युवाओं को जागरूक करने और उन्हें शिक्षित करने की आवश्यकता है। इसी प्रकार, योग की प्राचीन भारतीय कला स्वस्थ मन और स्वस्थ शरीर के मिश्रण का सृजन करती है।”
नायडू ने युवाओं से कृषि पर नए उत्साह के साथ ध्यान देने का भी आह्वान किया, जो भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती को अधिक प्रमुखता देना और रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करना समय की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र को निर्वहनीय और लाभप्रद बनाने के लिए इसे मौलिक रूप से पुन: स्थापित करना होगा। उन्होंने कहा कि केंद्र और विभिन्न राज्य सरकारों की नीतिगत युक्तियों के माध्यम से कृषि में संरचनात्मक परिवर्तन की आवश्यकता है।
उन्होंने मातृभाषा और देशी भाषाओं के महत्व का उल्लेख करते हुए कहा कि हम सभी को मातृभाषा की रक्षा, संवर्धन और प्रसार के लिए प्रयास करना चाहिए।
यह देखते हुए कि पारंपरिक परिवार प्रणाली भारत का गौरव है, उन्होंने कहा कि परिवार के मूल्यों की रक्षा करने की आवश्यकता है। हमारी परंपराएं और रीति-रिवाज न केवल सामाजिक ताने-बाने को मजबूत करते हैं, बल्कि विभिन्न वर्गों के बीच एक जुड़ाव का भी सृजन करते हैं।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारतीयों का हमेशा ही प्रकृति को साझा करने, उनकी देखभाल करने और पूजा करने के दर्शन में विश्वास रहा है। इस संक्रांति त्योहार पर, हम सभी को स्वस्थ, मजबूत, समृद्ध और समावेशी भारत के निर्माण के लिए खुद को फिर से समर्पित करना चाहिए।
इस उत्सव के अवसर पर, पेरीनी नृत्य प्रदर्शन, संगीतमय गायन, रंगोली प्रतियोगिता और पारंपरिक कला रूपों का प्रदर्शन किया गया। अलंकृत बैल (गंगेरेडुलु) और गुड़िया (बोम्मालकोलुवु) को प्रदर्शित करने वाले मंडप भी लगाए गए।
इस अवसर पर उपस्थित गणमान्य लोगों में केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद, तेलंगाना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थोट्टेथिल बी. राधाकृष्णन, सांसद कोंडा विश्वेश्वर रेड्डी और विधायक के.श्रीनिवास शामिल थे।