हिप्र : पनबिजली के लिए भूमि हस्तांतरण पर रोक से अदालत का इनकार
शिमला, 13 जनवरी (आईएएनएस)| हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने किनौर जिले में जंगल की जमीन को एशियन डेवलपमेंट बैंक द्वारा वित्तपोषित पनबिजली परियोजना को हस्तांतरित करने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
यह परियोजना राज्य सरकार के स्वामित्व वाले हिमाचल प्रदेश पॉवर कॉर्पोशन लिमिटेड द्वारा निष्पादित की गई है। परियोजना का विरोध कर रहे स्थानीय निवासियों, कार्यकर्ताओं और पर्यावरण समूहों ने कहा कि 130 मेगावाट एकीकृत काशांग चरण 2 और 3 परियोजना के लिए अदालत का आदेश निराशाजनक है।
उन्होंने मीडिया से शनिवार को एक बयान में कहा, “मामले के गुणों को बिना देखे यह आदेश दिया गया, जिसमें पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों के लिए विस्तार) अधिनियम 1996 और वन अधिकार अधिनियिम 2006 जैसे संवैधानिक कानूनों का उल्लंघन शामिल है।”
यह अधिनियम जनजातीय समुदायों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए हैं।
याचिका को खारिज करते हुए मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत की अगुवाई वाली खंडपीठ ने सात जनवरी को कहा था, “प्रथम ²ष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि यह रिट याचिका निजी पनबिजली परियोजना के प्रस्तावकों द्वारा प्रायोजित की गई है, क्योंकि यह परियोजना स्पष्ट रूप से पास की निजी परियोजना के बाजार में उनकी उत्पादकता और एकाधिकार को प्रभावित कर सकती है।”
उन्होंने कहा, “हमारे संदेह को इस तथ्य से और बल मिलता है कि जब पहले हिमाचल प्रदेश पावर कॉर्पोशन लिमिटेड इस परियोजना की स्थापना कर रहा था, तब एक पर्यावरण संरक्षण संघर्ष समिति लिप्पा ने इसका कड़ा विरोध किया था। संगठन के उपाध्यक्ष ताशी चेरिंग हैं।”
पीठ ने कहा, “उसी संघर्ष समिति ने पहले राष्ट्रीय हरित अधिकरण का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन वह परियोजना को रोक पाने में विफल रहा था, अब ग्राम सभा के माध्यम से शिकायत को पेश करने की मांग की गई है।”
मामले की अगली सुनवाई दो अप्रैल को सूचीबद्ध करते हुए पीठ ने संघर्ष समिति के सदस्यों का विवरण, उनके बैंक खातों का विवरण, उनके द्वारा प्राप्त किया गया दान, अगर हो तो और मुकदमे में खर्च किए गए व्यय का स्रोत की जानकारी देने वाला एक हलफनामा दाखिल करने को कहा है।
खंडपीठ में मुख्य न्यायाधीश के अलावा न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल भी शामिल हैं।