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छग : आधुनिक बालक आश्रम अब तक आदिम युग में

बीजापुर, 13 जनवरी (आईएएनएस/वीएनएस)। छत्तीसगढ़ में बीजापुर के भैरमगढ़ ब्लॉक में गुदमा गांव से लगभग 4 किलोमीटर अंदर की ओर झाड़ीगुड्डा बालक आश्रम है। जहां बच्चों की संख्या शत-प्रतिशत होती है, वहीं यह आश्रम 2003 से संचालित है। अब तक न जाने कितने अधीक्षक बदल चुके, पर इस आश्रम की तकदीर नहीं बदल पाई। यह आश्रम आदिम जाति कल्याण विभाग का है, जहां आज के युग में भी प्रशासन व्यवस्था बनाने में नाकाम साबित हो रही है।

इस आश्रम में कक्षा एक से पांच तक लगती है। जहां बच्चों की पढ़ाई के लिए ब्लैकबोर्ड तक नहीं है। अधीक्षक ने अपनी व्यवस्था से कबाड़ से जुगाड़ कर इन बच्चों के पढ़ाई की व्यवस्था की है। पुराने टीन के शीट को ब्लैकबोर्ड बनाया है और यहां बच्चे इन्हीं संसाधनों से अपना भविष्य गढ़ रहे हैं। कई बार अधिकारी-कर्मचारी आश्रम का दौरा कर अपनी पीठ थपथपा चुके हैं, पर आज तक किसी ने भी इन बच्चों के भविष्य के लिए कोई जुगाड़ नहीं किया है।

आश्रम परिसर में 2 शिक्षक हैं, जिसमें एक सहायक शिक्षक पंचायत कौशल कुमार चेन्नूर है जो अधीक्षक व दूसरा एचएम के पद पर कार्यरत है।

अधीक्षक चेन्नूर ने बताया कि कई बार उच्च अधिकारियों को विभिन्न तरह की जरूरतों से अवगत कराया जा चुका है, लेकिन झाड़ीगुट्टा बालक आश्रम के लिए अब तक कोई उचित व्यवस्था नहीं किया गया है। इस आश्रम में शत-प्रतिशत बच्चों की उपस्थिति रहती है। बच्चों ने किचन गार्डन भी बनाया है जहां तरह-तरह की सब्जी उगाई गई है, जिनमें बैंगन, टमाटर, लौकी, केला, बरबट्टी, धनिया, मिर्च जैसी मौसमी सब्जी का देखरेख खुद बच्चे करते हैं।

 

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