विश्व पुस्तक मेला : ‘जलसाघर’ में लगा लेखकों का जमघट
नई दिल्ली, 10 जनवरी (आईएएनएस)| दिल्ली के प्रगति मैदान में चल रहे विश्व पुस्तक मेले में गुरुवार को राजकमल प्रकाशन के स्टॉल ‘जलसाघर’ में लेखकों और पाठकों का जमघट लगा रहा।
‘लेखक से मिलिए’ कार्यक्रम के पहले सत्र में ‘मैक्लुस्कीगंज’ के लेखक विकास कुमार झा से प्रसिद्ध समालोचक वीरेंद्र यादव ने बातचीत की। ‘मैक्लुस्कीगंज’ रांची के पास बसा एक एंग्लो-इंडियन गांव है। विकास कुमार झा का उपन्यास इसी गांव को केंद्र में रखकर लिखा गया है। उपन्यास के संदर्भ में बातचीत करते हुए लेखक ने कहा, “कई दशकों से इस गांव की पीड़ा इस सवाल के साथ अपनी जगह कायम है कि क्या एक दिन पृथ्वी के नक्शे से मैक्लुस्कीगंज का नामोनिशान मिट जाएगा?” लेखक ने कहा कि यह सवाल जितना सरकार के लिए है, उतना ही पाठकों के लिए भी।
छठे दिन के कार्यक्रम के दूसरे सत्र में लगभग दो दशक के शोध के बाद लिखा गया उपन्यास ‘अकबर’ के लेखक शाजी जमां ने पाठकों से मिलकर उनके सवालों के जवाब दिए तथा मुगल बादशाह अकबर के किस्सों से पाठकों को रूबरू करवाया। दास्तानगो हिमांशु बाजपेयी से बातचीत में उन्होंने कहा, “अकबर जैसे शख्सियत पर उपन्यास लिखें और इतिहास का सहारा न लें, यह संभव नहीं हो सकता है।”
अकबर और बीरबल के रोचक किस्सों पर भी लेखक ने कहा, “बीरबल प्रतिभा के धनी थे, अकबर के दरबार में जितनी छूट उनको थी, शायद ही किसी और को थी। आज के समय में दोनों के बहुत किस्से आते हैं, इनमें ज्यादातर काल्पनिक हैं।”
तीसरे सत्र में लोकभारती प्रकाशन से प्रकाशित, लेखक प्रमोद कुमार अग्रवाल की बहुआयामी पुस्तक ‘भारत का विकास और राजनीति’ का लोकार्पण वर्धा विश्वविद्यालय के पूर्व कूलपति विभूति नारायण राय, एवं कवि दिनेश कुमार शुक्ल द्वारा किया गया। किताब की प्रासंगिकता पर बात करते हुए प्रमोद कुमार अग्रवाल ने कहा, “भारत का विकास ओर राजनीति पुस्तक में भारत की धड़कन समाहित है तथा भारत के विकास की प्रमुख समस्याओं का सरल एव व्यावहारिक समाधान प्रस्तुत है।”
चौथे सत्र में चर्चित पुस्तक ‘जनता स्टोर’ के लेखक नवीन चौधरी से पत्रकार आशुतोष उज्ज्वल ने बातचीत की। लेखक ने कहा, “मैंने यह महसूस किया कि छात्र राजनीति की बहुत चीजें विश्वविद्यालय के बाहर नहीं आ पाती हैं। उन्हीं अनसुनी किस्सों-कहानियों को इस पुस्तक के माध्यम से बाहर लाने की कोशिश है- जनता स्टोर।”
पाठकों के सवाल के जवाब में छात्र राजनीति जैसे विषय पर उपन्यास लिखने के बारे उन्होंने कहा, “राजनीति को जानना और समझना जरूरी है। मैंने सोचा कि जितना मैं जनता हूं, कम से कम इस किताब के माध्यम से उसे बताने की कोशिश करूं।”