मप्र में कांग्रेस-भाजपा को अपने विधायकों से खतरा!
भोपाल, 6 जनवरी (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश में सत्ताधारी दल कांग्रेस और विपक्षी दल भाजपा के लिए अपने विधायकों को ही एकजुट रखना चुनौती बनता जा रहा है।
कांग्रेस जहां विधानसभा के सोमवार से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में एकजुटता दिखाना चाहती है तो भाजपा झटका देने की तैयारी में है। दोनों दलों के विधायक एक-दूसरे के संपर्क में हैं। यही कारण है कि विधायकों को सत्र शुरू होने के एक दिन पहले ही भोपाल बुला लिया गया है।
राज्य में किसी भी दल को अपने बल पर पूर्ण बहुमत नहीं मिला है, कांग्रेस को भाजपा से पांच सीटें ज्यादा मिली हैं, मगर वह बहुमत से दो दूर है। विधानसभा की कुल 230 सीटें हैं, जिसमें से 114 कांग्रेस, 109 भाजपा के खाते में आई है। कांग्रेस ने बसपा, सपा और निर्दलीय विधायकों के सहयोग से सरकार बनाई है।
इन हालात में कांग्रेस और भाजपा के कई विधायक दूसरे दलों के संपर्क में हैं। कांग्रेस के वे विधायक जो मंत्री नहीं बन पाए हैं, वे असंतुष्ट चल रहे हैं तो भाजपा के कई विधायक जो मंत्री रहे और मंत्री बनना चाहते हैं, वे कांग्रेस के संपर्क में हैं। लिहाजा, कई स्थानों पर उप-चुनाव की संभावनाएं जोर पकड़ने लगी हैं।
भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री संजय पाठक का एक बयान काफी अहम माना जा रहा है, जिसमें उन्होंने कमलनाथ को ‘प्रबंधन का गुरु’ बताया है। साथ ही कमलनाथ के कार्यो को सराहा है। संजय पाठक कांग्रेस से ही भाजपा में गए थे और इस्तीफा देकर चुनाव लड़ने के बाद मंत्री बने थे। पाठक के पिता सत्येंद्र पाठक कांग्रेस के नेता रहे। पाठक ने जब कांग्रेस छोड़ी थी, तब भी उन्होंने कहा था कि उनके डीएनए में कांग्रेस है।
पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक पाठक द्वारा कमलनाथ की तारीफ किए जाने को राजनीतिक चश्मे से देखा जा रहा है। यह बात अलग है कि पाठक इसे व्यक्तिगत बयान करार दे रहे हैं। सूत्रों का दावा है कि कमलनाथ के ऑफिस से जुड़े लोगों के नाते-रिश्तेदार कटनी में काफी अहमियत रखते हैं, और वे भाजपा विधायकों के संपर्क में हैं। लिहाजा, अगर कोई बड़ा उलटफेर होता है तो वह अचरज वाला नहीं होगा।
भाजपा विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव के दौरान अपनी ताकत दिखाने की तैयारी में है। हो सकता है कि इस पद के लिए भाजपा अपना उम्मीदवार उतारे। भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह से जब राज्य विधानसभा के अध्यक्ष को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि भाजपा क्या करेगी, यह आने वाले दिनों में पता चलेगा। भाजपा कभी किसी दल के आधार पर अपनी रणनीति तय नहीं करती।
कांग्रेस ने सोमवार से सत्र शुरू होने से पहले ही अपने विधायकों को भोपाल तलब कर लिया है। इन विधायकों को राजधानी से बाहर होटलों में ठहराया जा रहा है। इन विधायकों से मुख्यमंत्री कमलनाथ व कांग्रेस नेता लगातार संपर्क में बने हुए हैं। कई विधायक चार से छह बार के निर्वाचित सदस्य हैं और उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया, जिससे उनमें नाराजगी है। भाजपा के बड़े नेता इन असंतुष्ट विधायकों से संपर्क भी कर चुके हैं।
कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों के नेता विधायकों में तोड़फोड़ किए जाने का आरोप लगा चुके हैं और इसी बीच पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कह चुके हैं कि प्रदेश में लंगड़ी सरकार है, वे तो बहुमत वाली सरकार बनाएंगे।
सूत्रों का दावा है कि भाजपा के कई निर्वाचित विधायक जो कभी कांग्रेस से जुड़े रहे हैं, उनसे संपर्क किया गया है। तो वहीं भाजपा ने कांग्रेस के असंतुष्ट विधायकों से संपर्क किया है। आने वाले दिन राज्य में सियासी तूफान लाने वाले होंगे, इस संभावना को नकारा नहीं जा सकता।