तेलंगाना डीजीपी राज्य में नक्सलियों की वापसी नहीं होने को लेकर आश्वस्त
हैदराबाद, 30 दिसम्बर (आईएएनएस)| पड़ोसी आंध्र प्रदेश में इस वर्ष एक विधायक की सनसनीखेज हत्या से नक्सलियों ने हालांकि वहां अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश की, लेकिन तेलंगाना के पुलिस प्रमुख इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि नक्सली अब उनके राज्य में अपनी वापसी नहीं कर पाएंगे। पुलिस महानिदेशक एम. महेंद्र रेड्डी ने रविवार को आईएएनएस से कहा कि पुलिस नक्सलियों के फिर से संगठित होने को लेकर सचेत रहती है।
पुलिस प्रमुख ने कहा, “पहले वे यहां से ऑपरेट करते थे। अगर हम किसी भी दिन इसे लेकर सचेत नहीं रहेंगे तो वे अपनी वापसी की कोशिश कर सकते हैं। इसलिए हमें लगातार खुद को अपडेट रखना पड़ता है।”
नक्सलियों ने आंध्र प्रदेश विधानसभा के एक सदस्य और तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के एक अन्य नेता की सितंबर में आंध्र-ओडिशा सीमा पर गोली मारकर हत्या कर दी थी। एक दशक में यह नक्सलियों का सबसे बड़ा हमला था।
तेलंगाना पुलिस छत्तीसगढ़ के साथ मिलकर नक्सलियों को राज्य में प्रवेश करने से रोकने के लिए लगातार सीमा पर निगरानी रख रही है।
प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की तेलंगाना राज्य समिति में 82 भूमिगत कैडर हैं जिसमें से तेलंगाना के केवल 18 हैं, बाकी छत्तीसगढ़ के हैं।
पार्टी के कुल 126 भूमिगत कैडर तेलंगाना से हैं। वहीं इस नक्सली संगठन के 17 केंद्रीय समिति के सदस्यों में से 10 तेलंगाना से हैं।
डीजीपी ने कहा, “वे सभी तेलंगाना के बाहर से संचालन कर रहे हैं।”
उन्होंने इससे पहले वार्षिक प्रेस वार्ता में कहा था कि इस वर्ष के दौरान भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) व अन्य समूहों के साथ मुठभेड़ की तीन घटनाओं में 19 नक्सली मारे गए।
विशेष खुफिया ब्यूरो (एसआईबी) द्वारा साझा की गई सूचना के मुताबिक, नक्सल रोधी अंतर्राज्यीय मुठभेड़ की 16 घटनाएं हुईं जिसमें 21 नक्सलियों को मार गिराया गया।
तेलंगाना पुलिस ने 2018 के दौरान 120 नक्सलियों को गिरफ्तार किया और एक एके-47 राइफल और 5 इंसास समेत 47 हथियार बरामद किए। इस वर्ष 10 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण भी किया।
पुणे पुलिस द्वारा नक्सलियों के साथ सहानुभूति रखने वाले वरवर राव और अन्य शहरी नक्सलियों को गिरफ्तार करने के बारे में पूछे जाने पर पुलिस प्रमुख ने कहा कि भीमा कोरेगांव हिंसा देश के विभिन्न भागों से आए लोगों की शहर आधारित स्वत: स्फूर्त हिंसा था, पुणे पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया।
डीजीपी ने कहा, “घटना वहां हुई, उन्होंने इसपर कार्रवाई की। अगर घटना यहां हुई होती, तो हम इसपर कार्रवाई करते।”
महेंद्र रेड्डी ने कहा कि शहरी नक्सली वे होते हें जो आम लोगों के बीच शहरी क्षेत्र में रहते हैं और लोकतांत्रिक साधनों का प्रयोग कर नक्सलियों को फायदा पहुंचाने के लिए लॉजिस्टिक सहायता पहुंचाते हैं।
उन्होंने कहा, “हमारा मानना है कि अगर भूमिगत सशस्त्र नक्सली को नियंत्रित करना है तो हमें शहरी नक्सलवाद को नियंत्रित करना होगा।”