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कच्चे तेल के दाम में बनी रही अस्थिरता (सिंहावलोकन 2018)

नई दिल्ली, 30 दिसम्बर (आईएएनएस)| अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में 2018 में काफी उतार-चढ़ाव का दौर बना रहा, जिसके कारण भारतीय वायदा बाजार में भी तेल के दाम में अस्थिरता की स्थिति बनी रही। साल की शुरुआत तेजी के साथ हुई, मगर साल के आखिर में अब तक ब्रेंट क्रूड के भाव में करीब 20 फीसदी और अमेरिकी क्रूड वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (डब्ल्यूटीआई) के भाव में 25 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में एक दौर ऐसा भी आया जब तेल का दाम चार साल के ऊंचे स्तर पर चला गया था।

ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध से जहां कच्चे तेल के दाम में उछाल आया वहीं, अमेरिका में तेल का उत्पादन बढ़ने से कीमतों पर दबाव बना रहा। इसके अलावा, अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक हितों के टकराव और संरक्षणवादी नीतियों से वैश्विक अर्थव्वस्था के विकास की रफ्तार धीमी पड़ने के विश्व बैंक की रिपोर्ट से कच्चे तेल की मांग घटने के अंदेशे से कीमतों पर दबाव और बढ़ गया।

अंतर्राष्ट्रीय वायदा बाजार इंटरकांटिनेंटल एक्सचेंज (आईसीई) पर बीते अक्टूबर में ब्रेंट क्रूड का भाव 86.74 डॉलर प्रति बैरल हो गया था, जोकि चार साल से अधिक समय का ऊंचा स्तर है। वहीं, 26 दिसंबर 2018 को ब्रेंट क्रूड का निचला स्तर 49.93 डॉलर प्रति बैरल रहा। इस प्रकार अक्टूबर के बाद ब्रेंट क्रूड का भाव कीमतों में 42.45 फीसदी लुढ़का है। आईसीई पर बीते कारोबारी सत्र में शुक्रवार को ब्रेंट क्रूड का भाव 53 डॉलर प्रति बैरल रहा, जबकि साल की शुरुआत में दो जनवरी को ब्रेंट क्रूड 66.65 डॉलर प्रति बैरल था।

न्यूयार्क मर्के टाइल एक्सचेंज (नायमैक्स) पर डब्ल्यूटीआई तीन अक्टूबर को 76.90 डॉलर प्रति बैरल हो गया था जोकि चार साल के ज्यादा समय का ऊंचा स्तर रहा, जबकि 24 दिसंबर को डब्ल्यूटीआई का निचला स्तर 42.36 डॉलर प्रति बैरल रहा। डब्ल्यूटीआई के भाव में अक्टूबर के बाद 44.91 फीसदी की गिरावट आई।

वहीं, घरेलू वायदा बाजार में इस साल कच्चे तेल में तकरीबन 17 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। साल की शुरुआत नरमी के साथ हुई और एमसीएक्स पर कच्चे तेल का दाम पहली जनवरी 2018 को तकरीबन आधी फीसदी की गिरावट के साथ 3,829 रुपये प्रति बैरल रहा। लेकिन अंतर्राष्ट्रीय बाजार में आई तेजी के चलते जनवरी महीने में ही कच्चे तेल का दाम एमसीएक्स पर 400 रुपये से ज्यादा की तेजी के साथ 4,271 रुपये तक उछला।

जनवरी में तकरीबन सात फीसदी की तेजी रही। वहीं, फरवरी में तेल के दाम पर दबाव बढ़ने से काफी उतार-चढ़ाव दिखा और 3,737 रुपये से लेकर 4,248 रुपये प्रति बैरल के बीच भाव बना रहा, हालांकि महीने के आखिर में 4,000 रुपये से ऊपर की रहा। इसके बाद मार्च और अप्रैल में क्रमश: 3.44 और 8.24 फीसदी की तेजी बनी देखी गई।

मई में करीब डेढ़ फीसदी की सुस्ती रही, लेकिन जून में 12.60 फीसदी की तेजी दर्ज की गई और भाव और कच्चे तेल का भाव एमसीएक्स पर 5,000 रुपये प्रति बैरल से उपर चला गया। जुलाई में यह तेजी बरकरार नहीं रह पाई और करीब सात फीसदी की कमजोरी के बाद कच्चा तेल 4,734 रुपये प्रति बैरल पर रह गया।

अगले दो महीने अगस्त और सितंबर में घरेलू वायदा बाजार में क्रमश: 4.75 और 7.58 फीसदी की तेजी रही। अक्टूबर के बाद कच्चे तेल में लगातार मंदी का माहौल बना हुआ है। एमसीएक्स पर कच्चा तेल अक्टूबर में 8.30 फीसदी, नवंबर में 26.90 फीसदी और अक्टूबर में 11.13 फीसदी लुढ़ककर अगस्त 2017 के बाद सबसे निचले स्तर पर आ गया है।

 

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