कातिलों को सजा देकर अदालत ने इंसाफ किया : परिजन
नई दिल्ली, 27 दिसम्बर (आईएएनएस)| मार्च 2016 में गाय के नाम पर झारखंड के लातेहार जिले में परिवार के दो युवकों को मार दिया गया था।
तथाकथित गौरक्षकों ने मारने के बाद इन दोनों का शव पेड़ से लटका दिया था। इस मामले में परिजनों ने दिल्ली में कहा कि अदालत ने सभी आरोपियों को उम्रकैद की सजा देकर हमारे साथ इंसाफ किया है। दिल्ली में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में परिजनों ने कहा कि इस फैसले से हमारा भारतीय न्याय व्यवस्था पर भरोसा बढ़ा है।
मृतक मजलूम अंसारी की पत्नी सायरा बीबी और भाई अफजल अंसारी ने कहा कि घटना के बाद से हम लोगों पर कई मुसीबत आई। मृतक मजलूम अंसारी परिवार का अकेला कमाने वाला था। उसकी हत्या के बाद परिवार पूरी तरह बिखर गया। पांच मासूम बच्चों के सर से उनके पिता का साया उठ गया। मजलूम अंसारी पर सिर्फ अपने परिवार की ही देखरेख की जिम्मेदारी नहीं थी, बल्कि वो अपने सास ससुर का भी सहारा था।
सायरा बीबी ने बताया कि वह अपने माता पिता की इकलौती बेटी है, उसका कोई भाई नहीं है ऐसे में शादी के बाद से बूढ़े मां बाप की जिम्मेदारी भी उसके पति मजलूम अंसारी पर थी। हत्या के बाद बच्चों के साथ साथ बूढ़े मां बाप का सहारा भी खत्म गया। मैं कोई काम नहीं करती हूं ऐसे में परिवार को बहुत तकलीफ उठाना पड़ रहा है। खुद का घर नहीं है। अभी मां बाप के साथ उनके घर में रहती हूं और बड़ी मुश्किल से गुजारा कर रही हूं।
मृतक इम्तियाज खान के पिता आजाद खान और मां नजमा बीबी ने बताया कि हमारा बेटा सिर्फ तेरह साल का था जब उसे मार दिया गया। उसने अभी तो घर से निकलना शुरू ही किया था। इम्तियाज बड़ा मेहनती था। कत्ल के व़क्त वो छठी कक्षा में पढ़ता था। पढ़ाई के साथ साथ अपने पिता के कारोबार में हाथ बंटाता था। डर और दहशत से पूरा कारोबार बन्द करना पड़ा है। अभी परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई है। इसी डर से छोटे बेटे ने स्कूल जाना छोड़ दिया है, कहता है कि जिन लोगों ने भाई को मार दिया है वो मुझे भी मार देंगे।
परिजनों ने कहा कि हम झारखंड हाईकोर्ट से मांग करते हैं कि जिस तरह गाय के नाम पर मारे गए रामगढ के अलीमुद्दीन केस में सजा पाये आरोपियों को जमानत दी गई, वैसा मामला हाईकोर्ट हमारे केस में नहीं करे। हमारे रिश्तेदारों को मारने वालो को हाईकोर्ट जमानत न दे। अगर हाईकोर्ट ऐसा करता है तो हमारी जान को खतरा हो सकता है।
परिजनों ने कहा कि हम सरकार से अपील करते हैं कि वो हमें उचित मुआवजा के साथ साथ दोनों परिवार के एक-एक सदस्य को सरकारी नौकरी भी दे ताकि बच्चों को सही से पाला जा सके और जिन्दगी की बुनियादी जरूरतों को पूरा किया जा सके।