IANS

विलय के खिलाफ बैंककर्मियों की हड़ताल से सेवाएं प्रभावित

 नई दिल्ली/कोलकाता/चेन्नई, 26 दिसम्बर (आईएएनएस)| सरकारी बैंकों की शाखाओं की बैंकिंग सेवाएं देश भर में बुधवार को बैंक यूनियनों की हड़ताल के कारण बाधित रही, जोकि विजया बैंक और देना बैंक के बैंक ऑफ बड़ौदा में विलय का विरोध कर रहे हैं।

  बैंककर्मी प्रस्तावित विलय का विरोध इसलिए कर रहे हैं कि इससे नौकरियों पर असर पड़ेगा और बैंक की कई शाखाएं भी बंद हो जाएगी। इस एक दिवसीय हड़ताल में बैंक कर्मियों ने वेतन संशोधन की भी मांग की।

इस हड़ताल का आह्वान यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) ने किया था, जो कि 9 बैंक यूनियनों की अंब्रेला संगठन है, जिसमें ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कनफेडरेशन (एआईबीओसी), ऑल इंडिया बैंक इम्प्लाइज एसोसिएशन (एआईबीईए), नेशनल कनफेडरेशन ऑफ बैंक इम्प्लाइज (एनसीबीई) और नेशनल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कस (एनओबीडब्ल्यू) शामिल है।

बुधवार की हड़ताल से पहले बैंक कर्मचारियों ने विलय के खिलाफ और वेतन संशोधन की मांग को लेकर पिछले शुक्रवार को भी हड़ताल किया था, जिसका आह्वान सरकारी बैंकों के अधिकारियों की यूनियन ने किया था।

एआईबीईए के महासचिव सी. एच. वेंकटचलम ने चेन्नई से आईएएनएस को बताया कि यूनियनों द्वारा बुलाई गई इस हड़ताल को ‘बहुत अच्छी’ प्रतिक्रिया मिली है, जिसके संयुक्त रूप से 10 लाख से अधिक सदस्य हैं।

उन्होंने कहा, “हमारे पास हरेक राज्य से खबरें आ रही हैं कि हड़ताल सफल रही। क्लिरिंग गतिविधियां प्रभावित हुए, क्योंकि शाखाएं बंद थी और चेक क्लियरेंस के लिए नहीं भेजे जा सके। नकद लेनदेन पर भी असर पड़ा।”

उन्होंने कहा, “सरकारी खजाने की गतिविधियां, आयात और निर्यात के सौदे, मुद्रा बाजार का परिचालन समेत अन्य बैंकिंग गतिविधियां भी प्रभावित हुई। हड़ताल के कारण करीब 30 लाख चेक्स का क्लियरेंस नहीं हो पाया, जिनमें कुल 23 लाख करोड़ रुपये की रकम की निकासी नहीं हो पाई।”

वेंकटचलम ने कहा कि हड़ताल में शामिल यूनियनों 12 निजी बैंकों के यूनियन थे, जिसमें फेडरल बैंक, धनलक्ष्मी बैंक, करूर वैश्य बैंक, कैथोलिक सीरीयन बैंक, कर्नाटक बैंक, नैनीताल बैंक और कोटक महिंद्रा समेत अन्य बैंक शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि अतिरिक्त मुख्य श्रमआयुक्त द्वारा बुलाई गई पिछली समझौता वार्ता असफल रही, क्योंकि विलय पर कोई आश्वासन नहीं दिया गया। अब यूनियनों ने वित्त मंत्री अरुण जेटली से मिलने की योजना बनाई है, ताकि “सरकार को विलय रोकने के लिए सहमत किया जा सके, या फिर हम आगे कदम बढ़ाने पर मजबूर होंगे, हालांकि हमारा इरादा बैंकिंग परिचालन को बाधित करने का नहीं है।”

सरकार ने इन तीनों बैंकों के विलय को सितंबर में मंजूरी दी थी।

भारतीय मजदूर संघ से संबद्ध एनओबीडब्ल्यू के उपाध्यक्ष अश्विनी राणा ने एक बयान में कहा, “हम भी यह शिद्दत से महसूस करते हैं बैंकों के सामने जो प्रमुख समस्याएं है, उसमें फंसे हुए कर्जो में बढ़ोतरी है, जिसे विलय जैसे प्रस्तावों से पीछे धकेल दिया गया है।”

ऑल इंडिया देना बैंक कर्मचारी समन्वय समिति के उपमहासचिव अमिताभ घोष ने कहा, “सरकारी बैंकों के विलय के खिलाफ की गई यह हड़ताल पूरी तरह से सफल रही है, जहां तक मेरी जानकारी है कि कम से कम कोलकाता और दिल्ली में तो यह पूरी तरह से सफल रही।”

यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के पश्चिम बंगाल के संयोजक सिद्धार्थ खान ने आईएएनएस को बताया, “शहर के निजी और विदेशी बैंक भी बंद रहे। ज्यादातर एटीएम बंद रहे। हालांकि अस्पतालों में लगे एटीएम को हड़ताल से बाहर रखा गया था। क्लियरिंग गतिविधियां भी बंद रही।”

ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कनफेडरेशन (एआईबीओसी) के सहायक महासचिव संजय दास ने कहा कि उन्होंने विलय के फैसले के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय में पहले ही रिट याचिका दाखिल की है। उन्होंने कहा, “हम फंसे हुए विशाल कर्जो पर ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं, जो कुशल होने के बावजूद जानबूझकर कर्ज नहीं लौटा रहे हैं।”

Show More

Related Articles

Back to top button
Close
Close