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खुश हूं, लेकिन एकाग्र रहने की जरूरत : मयंक अग्रवाल

मेलबर्न, 26 दिसम्बर (आईएएनएस)| अपने पहले टेस्ट मैच में 76 रनों की पारी खेलने वाले भारत के नए सलामी बल्लेबाज मयंक अग्रवाल ने कहा है कि वह अपनी पारी से खुश हैं, लेकिन उन्हें प्रदर्शन में निरंतरता बनाए रखने के लिए एकाग्र रहने की जरूरत है। मयंक को भारत और आस्ट्रेलिया के बीच यहां मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड (एमसीजी) पर खेले जा रहे तीसरे टेस्ट मैच में अंतर्राष्ट्रीय पदार्पण का मौका मिला है। अपने पहले टेस्ट में ही मयंक ने अपने खेल से सभी को प्रभावित किया।

मैच के बाद मयंक ने कहा, “भारतीय टेस्ट टीम का हिस्सा बनना बेहद सुखद अहसास है। जब मुझे कैप मिली तो मेरे दिमाग में काफी कुछ चल रहा था। मैं इसे अपनी पूरी जिंदगी याद रखूंगा। जो पहली सोच दिमाग में आएगी वो टेस्ट में भारत का 295वां खिलाड़ी बनना।”

मयंक ने घरेलू क्रिकेट में लगातार अच्छे रन किए हैं। उन्हें इससे पहले वेस्टइंडीज के खिलाफ खेली गई टेस्ट सीरीज में भी टीम में शामिल किया गया था लेकिन पदार्पण करने का मौका नहीं मिला था।

मयंक ने कहा, “इन भावनाओं को रोक एकाग्र होना काफी मुश्किल होता है, लेकिन ऐसा करना पड़ता है। मैं अपनी रणनीति पर ही रहा और अपने आप से कहता रहा कि मुझे अपनी रणनीति पर ही टिके रहना है। मैं ऐसा कर सका। यह मेरे लिए काफी शानदार था। मैंने जिस तरह से शुरुआत की उससे मैं काफी खुश हूं।”

मयंक इस बात से खुश हैं कि सीनियर खिलाड़ियों ने उनकी तारीफ की।

मयंक ने कहा, “यह मेरे लिए बड़ा मंच और बड़ा मौका है। मेरे पास सीनियर खिलाड़ी आए और कहा कि यह बड़ा दिन और बड़ा मौका है इसलिए अपनी छाप छोड़ो।”

मयंक पदार्पण टेस्ट में अर्धशतक जमाने वाले भारत के सातवें सलामी बल्लेबाज बन गए हैं। साथ ही वह पदार्पण मैच में आस्ट्रेलियाई जमीन पर सर्वोच्च स्कोर करने वाले भारतीय खिलाड़ी भी बन गए हैं।

मयंक ने कहा, “मैं खुश हूं, लेकिन मैं और रन करना पसंद करता। मैं 76 रनों के स्कोर के साथ खुश हूं, यह इससे कम रनों से अच्छा है। मैं और रन करना चाहता था, नाबाद रहना चाहता था, और दिन का खेल खत्म होने तक टिके रहना चाहता था।”

मयंक ने कहा कि वह कभी भी उलझा हुआ महसूस नहीं करते थे क्योंकि वह लगातार घरेलू मैच खेलते रहते हैं। साथ ही ए टूअर्स पर भी जाते रहते हैं।

सलामी बल्लेबाज ने कहा, “वेस्टइंडीज के खिलाफ जब मुझे टीम में चुना गया था तो मैं काफी खुश था। वह मेरे लिए बड़ा पल था। यह मेरे हाथ में नहीं था कि मैं अंतिम एकादश में आऊं।”

कर्नाटक के इस बल्लेबाज ने कहा, “लेकिन एक अच्छी बात यह रही कि इस दौरान मैं लगातार घरेलू क्रिकेट खेलता रहा और इंडिया-ए के लिए भी खेलता रहा। इसलिए आपको इस बात को सुनिश्चित करना होता है कि आप लगातार खेलते रहो।”

मयंक इस बात से खुश हैं कि उन्हें एमसीजी के मैदान पर पदार्पण करने का मौका मिला।

 

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