डायबिटीज के दुष्प्रभावों से अवगत कराने के लिए जागरूकता अभियान
नई दिल्ली, 24 नवंबर (आईएएनएस)| बच्चों में डायबिटीज/मधुमेह के बढ़ते मामलों के मद्देनजर पीड़ित बच्चों और उनके माता-पिता को इसके दुष्प्रभावों से अवगत कराने के लिए राष्ट्रीय राजधानी में शनिवार को अपोलो सेंटर फॉर ओबेसिटी, डायबिटीज एंड एंडोक्राइनोलोजी ने जागरूकता अभियान चलाया। जसोला स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स में आयोजित इस जागरूकता शिविर में बच्चों के लिए रोचक खेलों और गतिविधियों का भी प्रबंध किया गया साथ ही इसमें लगभग 100 लोगों ने हिस्सा लिया। इस दौरान बच्चों के माता-पिता को उनके सवालों के भी जवाब दिए गए।
डायबिटीज से पीड़ित बच्चों के माता-पिता को बताया गया कि कैसे उनके बच्चे सेहतमंद जीवन जी सकते हैं। बच्चों का उत्साह बढ़ाने के लिए नेल आर्ट, जोकर, बाउंसी, मैजिशियन, टग ऑफ वार जैसी गतिविधियां भी आयोजित की गईं। उन्हें खेल-खेल में बताया गया कि कैसे वे डायबिटीज का प्रबंधन कर सकते हैं।
इन्द्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स के एंडोक्राइनोलोजिस्ट सीनियर कन्सलटेन्ट डॉ. एस. के. वांगनू ने कहा, “भारत डायबिटीज /मधुमेह की दृष्टि से दुनिया की राजधानी बन चुका है, देश में डायबिटीज के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इस बीमारी के मुख्य कारण हैं गतिहीन जीवनशैली और बहुत ज्यादा कैलोरी से युक्त भोजन का सेवन है।”
उन्होंने कहा, “वर्तमान में पारम्परिक आहार की जगह अल्ट्रा-प्रोसेस्ड भोजन, चीनी युक्त पेय पदार्थो और प्रोसेस्ड कार्बोहाइड्रेट ने ले ली है, इन खाद्य पदार्थो में पोषक तत्व नहीं होते। इसके अलावा आजकल बच्चे बाहर खेलने या व्यायाम में बहुत कम समय बिताते हैं और घर पर ही मोबाइल गेम, टैब और टीवी स्क्रीन पर समय बिताना पसंद करते हैं। यही कारण है कि आज ज्यादातर बच्चों का वजन सामान्य से अधिक है, जिसके चलते इन बच्चों में डायबिटीज की संभावना बढ़ जाती है।”
जीवनशैली से जुड़ी इस बीमारी के 49 फीसदी मरीज भारत में हैं। 2017 में इसके 7.2 करोड़ मामले दर्ज किए गए और एक अनुमान के अनुसार 2025 तक यह संख्या दोगुनी होकर 13.4 करोड़ तक पहुंच जाएगी।
डॉ. वांगनू ने कहा, “हाल ही में आई आधुनिक तकनीकों जैसे इंसुलिन पंप, इस्तेमाल में आसान ग्लूकोमीटर एवं इंसुलिन पैन आदि के कारण डायबिटीज का प्रबंधन आज बेहद आसान हो गया है। डायबिटीज की रोकथाम पर ध्यान देना जरूरी है, इस दिशा में छोटे प्रयास भी बहुत कारगर हो सकते हैं। जीवनशैली में छोटे-छोटे बदलाव लाकर डायबिटीज की रोकथाम की जा सकती है और इसका बेहतर प्रबंधन किया जा सकता है।”