पंजाब : आप, अकाली दल में अंतर्कलह से कांग्रेस खुश
चंडीगढ़, 18 नवंबर (आईएएनएस)| पंजाब के मुख्य विपक्षी दल आम आदमी पार्टी (आप) और राजनीतिक रूप से सक्रिय शिरोमणि अकाली दल (शिअद) में मची कलह से राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस को फायदा होता दिखाई दे रहा है।
आप की पंजाब इकाई में नेतृत्व संकट को लेकर हंगामा मचा हुआ है, जिसके कारण पार्टी के पास कोई राजनीतिक दिशा या एजेंडा नहीं है और उनके कार्यकर्ताओं का पार्टी से मोह भंग हो गया है।
वरिष्ठ नेता व विधायक सुखपाल सिंह खैरा और कंवर संधू को पार्टी विरोधी गतिविधयों और अनुशासनहीनता के लिए हाल ही पार्टी से बाहर कर आप के केंद्रीय नेतृत्व ने खुद अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारी है।
खैरा को जुलाई माह में आप के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा विपक्ष के नेता के पद से अनौपचारिक ढंग से हटा दिया गया था। खैरा ने पार्टी हाईकमान द्वारा आप के पंजाब संगठनात्मक ढांचे को भंग करने के खिलाफ बगावत कर दी थी और राज्य इकाई के लिए पूर्ण स्वायत्तता मांगी थी।
खैरा और संधू पंजाब व आप की राज्य इकाई से संबंधित मुद्दे को लेकर राजनीतिक रूप से मुखर हो गए थे, जिसके बाद पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने उनके पर कतरने का फैसला किया था।
आप फरवरी 2017 पंजाब विधानसभा चुनाव में दूसरे नंबर पर रही थी, पार्टी ने 117 विधानसभा सीटों में से 20 सीटों पर जीत हासिल की थी।
मार्च 2017 में सत्ता में वापसी के बाद से कांग्रेस राजनीतिक रूप से स्थिर दिखाई दे रही है और विधानसभा में उसके पास 78 सीटे हैं। कांग्रेस को अपनी परस्पर विरोधी शिअद के भीतर मची कलह से भी फायदा होता प्रतीत हो रहा है।
शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के नेतृत्व को कई उभरते वरिष्ठ पार्टी नेताओं द्वारा चुनौती मिल रही है। सुखबीर दिग्गज अकाली दल नेता प्रकाश सिंह बादल के बेटे हैं।
रतन सिंह अजनाला, रंजीत सिंह ब्रह्मपुरा और सेवा सिंह सेखवान जैसे नेताओं और अन्य को सुखबीर व उनके साले बिक्रम सिह मजीठिया के खिलाफ खुली बगावत करने के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखदेव सिंह ढींढसा ने हाल ही में पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था। वह राज्यसभा सांसद भी हैं। हालांकि ढींढसा ने सुखबीर बादल के खिलाफ खुलकर नहीं बोला, लेकिन उनके कदम के पीछे सुखबीर और मजीठिया के अंतर्गत पार्टी के कार्यो के तरीकों से नाराजगी को भी जोड़कर देखा जा रहा है।
पंजाब में टकसाली नेताओं के नाम से मशहूर अकाली नेता दूसरी सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी (शिअद) में जिस निरंकुश तरीके से प्रबंधन किया जा रहा है, उसे लेकर काफी खफा हैं।
आश्चर्य की बात नहीं होगी कि आप और शिअद में मची कलह से कांग्रेस दबी जुबान में बहुत खुश है।