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बुंदेलखंड में गरीबों की ड्योढ़ी पर ‘राजाओं’ की ढोक

 भोपाल, 18 नवंबर (आईएएनएस)| बुंदेलखंड गरीबी, भुखमरी, पलायन और शोषण के लिए पहचाना जाता है। लेकिन मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव ने यहां की तस्वीर बदल दी है।

 यही कारण है कि गरीबों, फटेहाल लोगों की ड्योढ़ी (चौखट) पर ‘राजाओं’ (जिनके नाम के आगे राजा) को ढोक (हाथ जोड़ने) लगाने को मजबूर कर दिया है।

बुंदेलखंड पर एक नजर दौड़ाई जाए तो एक बात साफ हो जाती है कि राजवंशों से नाता रखने वाले या जिनके नाम के आगे राजा है, उन्हें मैदान में उतारने के मामले में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस दोनों ही पीछे नहीं हैं। वैसे तो बुंदेलखंड में ठाकुर (राजपूत) परिवार में पैदा होने वाले अमूमन हर बच्चे के नाम के आगे राजा जोड़ दिया जाता है, भले ही उसके घर में खाने के जुगाड़ का संकट हो।

बुंदेलखंड मध्य प्रदेश के सात और उत्तर प्रदेश के सात जिलों को मिलाकर बनता है। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जहां टीकमगढ़ से यादवेंद्र सिंह उर्फ जग्गू राजा, बिजावर से शंकर प्रताप सिंह उर्फ मुन्ना राजा, राजनगर से विक्रम सिंह उर्फ नाती राजा, पन्ना से शिवजीत सिंह उर्फ भैया राजा और खरगापुर से चंदा सिंह गौर उर्फ चंदा रानी को मैदान में उतारा है। वहीं भाजपा ने महाराजपुर से मानवेंद्र सिंह उर्फ भंवर राजा, समाजवादी पार्टी (सपा) ने पवई से भुवन विक्रम सिंह उर्फ केशू राजा को उम्मीदवार बनाया है।

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक और बुंदेलखंड के जानकार रवींद्र व्यास का कहना है, “इस इलाके में आमतौर पर ठाकुर परिवार में पैदा होने वाले हर बच्चे को कुंवर साहब या राजा साहब पुकारने की परंपरा है। शुरुआत तो घर से ही होती है, ठाकुर समाज के लोग स्वयं चाहते हैं कि उनके परिवार के व्यक्ति के उपनाम के साथ राजा या कुंवर साहब जुड़ा रहे। यही कारण है कि बुंदेलखंड में चुनाव लड़ रहे अधिकांश ठाकुरों के आगे उपनाम और राजा जुड़ा हुआ है। इनमें कई रियासतदार, जागीरदार भी हैं।”

बुंदेलखंड वह इलाका है, जहां से भाजपा की दिग्गज नेता उमा भारती आती हैं। वर्तमान में वह उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड के झांसी-ललितपुर से सांसद हैं और मोदी सरकार में मंत्री हैं। उमा भारती भाजपा के पक्ष में चुनाव प्रचार कर रही हैं।

बुंदेलखंड के सात जिलों -सागर, दमोह, छतरपुर, टीकमगढ़, पन्ना, दतिया और निवाड़ी- में कुल 29 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। पिछले तीन चुनावों से यह इलाका भाजपा का गढ़ बन चुका है। इस बार भाजपा जहां अपनी पकड़ बनाए रखने की कोशिश में है, तो दूसरी ओर कांग्रेस सेंधमारी की जुगत में है।

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