भारत की मुक्केबाजी विश्व कप मेजबानी खतरे में
नई दिल्ली, 16 नवंबर (आईएएनएस)| भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय राजधानी में जारी 10वीं आईबा विश्व महिला मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में कोसोवो के दल को वीजा न देना देश को खेल मेजबानी के लिहाज से भारी पड़ सकता है। मुक्केबाजी की अंतर्राष्ट्रीय महासंघ-आईबा ने शुक्रवार को एक पत्र लिखा है, जिसमें कहा गया है कि इस विवाद के बाद 2021 में भारत की मेजबानी में होने वाली पुरुष विश्व चैम्पियनशिप की मेजबानी पर गम्भीरता से दोबारा विचार किया जा सकता है।
कोसोवो की डोनजेटा साडिकु (60 किलोग्राम भारवर्ग) के अलावा उनके दो प्रशिक्षकों को भारत ने वीजा नहीं दिया और इसी कारण यह दल भारत नहीं आ पाया।
आईबा के अध्यक्ष गाफुर राहिमोव ने हालांकि अंतर्राष्ट्रीय संस्था और भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (बीएफआई) के इस विवाद को सुलझाने के प्रयास की सराहना की है।
राहिमोव ने आईबा की वेबसाइट पर जारी अपने पत्र में लिखा है, “हम इस स्थिति को लेकर काफी चिंतित हैं। कोई भी खिलाड़ी जो अपने देश के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेलने का सपना देखता है उसे राजनीति के फैसलों से प्रभावित नहीं करना चाहिए और खेल तथा राजनीति को अलग रखना चाहिए।”
बयान में आगे लिखा है, “हम बीएफआई के प्रयास की सराहना करते हैं, लेकिन आईबा 2021 में होने वाली पुरुष विश्व चैम्पियनशिप की नीलामी पर दोबारा विचार करेगा। इसके साथ ही हम डोनजेटा साडिकु और कोसोवो के मुक्केबाजी परिवार से माफी मांगते हैं।”
राखिमोव ने कहा है, “आईबा टूर्नामेंट की मेजबानी देते समय अंतर्राष्ट्रीय संस्था की प्राथमिकता होती है कि मेजबान देश में सभी योग्य खिलाड़ी हिस्सा ले सकें और उनके साथ किसी तरह का राजनीतिक भेदभाव न किया जाए। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारतीय सरकार ने एक खराब राजनीतिक फैसला लिया और एक खिलाड़ी के विश्व चैम्पियनशिप में खेलने के सपने को पूरा नहीं होने दिया।”
अध्यक्ष के मुताबिक, “इसलिए आईबा इस बात को लेकर कदम उठाएगा कि ऐसी स्थिति दोबारा न बने। साथ ही ऐसी भी संभावनाएं हैं कि भारत में 2021 में होने वाली विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप की नीलामी प्रक्रिया दोबारा शुरू की जाए।”
दिल्ली में हो रही इस चैम्पियनशिप के 10वें संस्करण में कोसोवो की एकमात्र खिलाड़ी डोनजेटा साडिकु हिस्सा लेने था। उनके साथ दो प्रशिक्षक भी हैं। इन तीनों को अभी तक वीजा नहीं मिला है।
कोसोवो 2008 में सर्बिया से अलग हो गया था और उसे एक स्वतंत्र देश की मान्यता मिल गई थी। आईओसी ने भी 2014 में इसे अपनी सदस्यता दे दी थी। हालांकि कुछ ऐसे देश हैं जो इस देश को मान्यता नहीं देते हैं। इसी विवाद के चलते कोसोवो की खिलाड़ी का वीजा रुका हुआ है।
कोसोवो के दल के पास हालांकि अल्बेनिया का पासपोर्ट है लेकिन भारतीय सरकार ने अभी तक उनके वीजा को मंजूरी नहीं दी है।
इससे पहले गुरुवार को एशियाई ओलम्पिक समिति (ओसीए) ने भी पत्र लिखकर इस मुद्दे पर नाराजगी जताई थी और भविष्य में भारत के बड़े टूर्नामेंट्स की मेजबानी करने की काबिलियत पर सवाल उठाए थे।