देश में 2.67 करोड़ दिव्यांग बच्चों को मदद की दरकार
नई दिल्ली, 15 नवंबर (आईएएनएस)| सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग में सचिव शकुंतला गैमलिन ने गुरुवार को कहा कि देश में करीब 2.67 करोड़ दिव्यांग बच्चों के पुनर्वास के लिए संस्थागत मदद की दरकार है।
उन्होंने कहा कि इन बच्चों के लिए शिक्षा, कौशल विकास और उनकी अशक्तता कम करके उनको अधिकतम सक्षम बनाने की जरूरत है। गैमलिन विभाग के सहयोग से सार्थक एजुकेशन ट्रस्ट द्वारा यहां आयोजित विकलांगता पर 5वें राष्ट्रीय सम्मेलन-2018 को संबोधित कर रही थीं।
उन्होंने कहा कि विभाग की ओर से देश के दिव्यांगजनों को सशक्त बनाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं, लेकिन इसके लिए और प्रयास की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, “हमें समाज के इस सबसे वंचित वर्ग के प्रति अपने दृष्टिकोण व धारणाओं को बदलने की जरूरत है।”
गैर लाभकारी संगठन सार्थक एजुकेशनल ट्रस्ट दिव्यांगजनों के सशक्तीकरण के लिए काम करता है। संगठन ने इस कार्यक्रम का विषय ‘एक्ट टू इम्पावर’ रखा था।
ट्रस्ट के संस्थापक व सीईओ डॉ. जितेंद्र अग्रवाल ने कहा, “हम दिव्यांगजनों के लिए हस्तक्षेप, समावेशन, कौशल विकास, स्थायी रोजगार की व्यवस्था करते हैं और उनके मसलों का पक्षधर बनकर उनके जीवन में परिवर्तन लाने की दिशा में उत्प्रेरक के रूप में काम कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा, “अब तक हमने 1050 भागीदारों के सहयोग से 14,000 से अधिक दिव्यांगजनों की जिंदगियां बदली हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार, सात प्रकार की विकलांगता में दिव्यांगजों की आबादी लगभग 3 करोड़ थी और अब सरकार ने 14 और प्रकार की विकलांगता को जोड़ा है। इसलिए, 21 प्रकार की विकलांगता के साथ, दिव्यांगजनों की आबादी 8 करोड़ से अधिक होने की उम्मीद है। इसलिए इस दिशा में हमें अधिक प्रयास करने की जरूरत है।”