पंजाब : राजनीति में ‘माफी’ की हवा
चंडीगढ़, 7 नवंबर (आईएएनएस)| पंजाब की राजनीति इन दिनों माफी मांगने की मुद्रा अपनाए हुए है। राज्य की तीन मुख्य पार्टियों, अकाली दल, कांग्रेस व आम आदमी पार्टी (आप) को इस माफी के कीड़े ने किसी न किसी रूप में काटा हुआ है।
माफी शब्द सबसे ज्यादा शायद अकाली दल के पीछे पड़ा दिख रहा है।
अकाली दल ने साल 2015 में एक राजनीतिक उपाय के तहत सिखों की सर्वोच्च धार्मिक पीठ अकाल तख्त से कहा था कि वह विवादास्पद डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह की माफी को स्वीकार कर ले। यह बात अब लौट कर अकाली दल और उसके नेतृत्व को परेशान कर रही है।
गुरमीत राम रहीम सिंह की यह तरफदारी अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल का एक बड़ा राजनैतिक कदम थी। 2017 में पंजाब में विधानसभा चुनाव होने थे। ऐसे में डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख माझा बेल्ट (सतलज नदी के दक्षिण में स्थित बेहद उपजाऊ क्षेत्र) में मतों को अकाली दल के पक्ष में करने में बड़ी भूमिका निभा सकते थे। उस वक्त अकाली दल-भाजपा गठबंधन राज्य में सत्तारूढ़ था।
डेरा सच्चा सौदा प्रमुख के खिलाफ सिख समाज में व्यापक नाराजगी उस समय फैली थी जब उन्होंने दसवें सिख गुरु गोविंद सिंह की नकल करने की कोशिश की थी। डेरा प्रमुख खासकर, अकाली दल और अकाल तख्त के निशाने पर थे।
डेरा सच्चा सौदा प्रमुख की माफी के प्रकरण से अकाली दल को कोई लाभ नहीं हुआ और फरवरी 2017 में हुए पंजाब विधानसभा चुनाव में पार्टी पहली बार तीसरे नंबर पर आई।
राम रहीम सिंह की माफी और 2015 में पंजाब में गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी ने अकाली दल को संकट में डाल दिया और यह मुद्दे आज भी पार्टी का पीछा नहीं छोड़ रहे हैं। कुछ सिख संगठन और कट्टरपंथी पार्टी के खिलाफ सख्त रुख अपनाए हुए हैं।
राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी भी माफी के घेरे में है। वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री चरणजीत सिंह चन्नी पर एक वरिष्ठ आईएएस अफसर ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। अफसर का कहना है कि चन्नी ने उनके मोबाइल फोन पर अश्लील मैसेज भेजे।
मामला मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह तक पहुंचा। उन्होंने चन्नी से कहा कि वह अफसर से माफी मांगें। विपक्ष का दबाव चन्नी के इस्तीफे के लिए बना हुआ है जिसका कहना है कि अगर एक मंत्री एक आईएएस के साथ ऐसा सलूक कर सकता है तो फिर पंजाब में अन्य महिलाएं कैसे सुरक्षित होंगी।
बीते साल विधानसभा चुनाव में दूसरे नंबर की पार्टी बनकर उभरी आप भी माफी के पेंच से बच नहीं सकी है।
पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान प्रचार में आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल और पार्टी के अन्य नेता पंजाब के पूर्व कैबिनेट मंत्री विक्रम सिंह मजीठिया पर मादक पदार्थो का रैकेट चलाने का आरोप लगाते रहते थे। मजीठिया ने केजरीवाल व अन्य के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज किया। इससे मुक्ति आप नेताओं को तभी मिली जब इन्होंने लिखकर माफी मांगी।
केजरीवाल ने यह माफी पार्टी की पंजाब इकाई से सलाह किए बिना मांगी। इससे पार्टी की पंजाब इकाई ‘स्तब्ध’ रह गई और इसके विरोध में आवाजें उठीं।