महाराष्ट्र में नरभक्षी बाघिन को मारने की कार्यकर्ताओं ने की आलोचना
नागपुर, 3 नवंबर (आईएएनएस)| महाराष्ट्र के विदर्भ जंगलों में दहशत फैलाने वाली पांच वर्षीय कथित नरभक्षी बाघिन अवनी को शनिवार को यवतमाल जिले के बोरती गांव के समीप मार गिराया गया। महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सहयोगी शिवसेना और कार्यकर्ताओं ने इस घटना की कड़ी आलोचना की है।
शिवसेना की युवा सेना के अध्यक्ष आदित्य ठाकरे ने बाघिन को मारने के लिए सरकार पर हमला बोला और इसे अवैध शिकार करार दिया।
बाघिन अवनी (5) को करीब तीन महीने तक ढूंढ़ने के बाद यह अभियान चलाया गया, जिसमें वन विभाग की टीम के साथ कैमरों, ड्रोन, हैंग ग्लाइडर और खोजी कुत्तों की मदद ली गई।
विशेषज्ञों के मुताबिक, टी1 के रूप में पहचानी गई अवनी को कम से कम 13 लोगों को शिकार बनाने का जिम्मेदार माना गया था। हालांकि, परीक्षण के बाद सभी मौतों की वजह उसे नहीं माना गया।
एक स्वस्थ बाघिन अवनी तिपेश्वर टाइगर सैंक्चुरी में 10 महीने के अपने दो शावकों की परवरिश करती थी। उसे निशानेबाज नवाब असगर अली खान ने मार गिराया।
उसके शव को परीक्षण के लिए नागपुर भेज दिया गया है। उसके शावक लापता हैं।
सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के मुताबिक, वन विभाग और अधिकारियों को पहले उसे शांत करने और फंसाने की आवश्यकता थी, लेकिन शनिवार के अभियान के दौरान बाघिन ने टीम पर हमला कर दिया।
वन्यजीव कार्यकर्ता और मेडिको जेरील ए. बनाइत ने एनजीओ अर्थ ब्रिगेड फाउंडेशन (ईबीएफ) के साथ संयुक्त रूप से जनहित याचिका दायर की थी। उन्होंने कहा कि अवनी को मारने में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के नियमों का बड़े पैमाने पर उल्लंघन किया गया है।
उन्होंने कहा, “इस तरह के एक ऑपरेशन को केवल सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच ही किया जा सकता है, एनटीसीए के दिशानिर्देशों के अनुसार, आज तड़के अवनी को मारने के दौरान कोई भी पशु चिकित्सक या पुलिस मौजूद नहीं था। रात में किसी भी बाघ के लिंग की पहचान करना लगभग असंभव है।”
आम आदमी पार्टी की प्रवक्ता प्रीति शर्मा मेनन ने वन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार को अवनी के मारे जाने में आरोपी करार दिया। उन्होंने व्यंग्यात्मक ढंग से टिप्पणी देते हुए कहा, “बाघिन की परवाह किसे होगी जब उद्योगपति जंगल भूमि खोजते फिर रहे हों।”
आदित्य ठाकरे ने कहा, “जानवरों व वनों की अवैध शिकारियों से सुरक्षा के बजाए सरकार उनसे प्रेरित हो रही है।”
ऑपरेशन पर सवाल उठाते हुए उन्होंने वन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार से पूछा कि बाघिन को मचान से गोली क्यों मारी गई। उन्होंने कहा, “अगर विशेषज्ञ शिकारी एक चलते हुए जानवर को गोली मारकर ढेर कर सकते हैं तो उन्होंने उसे शांत करना क्यों नहीं चुना?”
उन्होंने यह भी जानना चाहा कि क्या यह शिकारी जानवरों को मारने का प्रयास कर रहे थे और क्या इनके ऊपर वन्यजीव सुरक्षा अधिनियम के तहत मामला चलाया जा सकता है।
पेटा इंडिया के कॉर्डिनेटर मीत अशर ने कहा, “इस मामले की जांच होनी चाहिए और इसे वन्यजीव अपराध के रूप में देखा जाना चाहिए। चाहे इसकी मंजूरी राज्य द्वारा दी जाए या नहीं, कोई भी कानून से बड़ा नहीं है। यह हमारे देश के लिए एक काला दिन है।”