दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता ‘खतरनाक’ स्तर पर
नई दिल्ली, 1 नवंबर (आईएएनएस)| राष्ट्रीय राजधानी और इसके आसपास के क्षेत्र में गुरुवार को वायु गुणवत्ता खतरनाक स्तर पर पहुंच गई। यहां आद्रता बढ़ने से सूक्ष्मकण बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। इसके अलावा पंजाब व हरियाणा के किसानों द्वारा जलाई जा रही पराली से समस्या और विकट हो गई है।
यहां गुरुवार से निर्माण कार्यो, उद्योगों और कूड़े जलाने पर रोक लगाई गई है, इसके अलावा और पाबंदियां जैसे ट्रक के प्रवेश पर रोक और वाहनों के सम-विषम योजना पर विचार किया जा रहा है।
विज्ञान व पर्यावरण (सीएसई) केंद्र से जुड़े वरिष्ठ रिसर्च एसोसिएट पोलाश मुखर्जी ने आईएएनएस से कहा, “पंजाब व हरियाणा में पराली जलाना शहर के प्रदूषण में 28 से 30 प्रतिशत का योगदान दे रहा है।”
दिल्ली के ऊपर बने स्थिर हवा के क्षेत्र की वजह से प्रदूषण फैलाने वाले कण गुरुवार तड़के बाहर नहीं निकल पा रहे हैं, उस समय यहां वायु की गुणवत्ता को ‘बहुत खराब’ के स्तर पर थी।
सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) ने लोगों को बाहर की सभी गतिविधियों से बचने की सलाह दी है और जिन्हें अस्थमा है, उन्हें अपने पास दवाई रखने की सलाह दी गई है।
पूर्वाह्न् 11 बजे दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक 394 था। इस बीच प्रदूषकों के बढ़ने से दिल्ली में पीएम2.5 का स्तर 147 और पीएम10 का स्तर 448 माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर था। 400 के सूचकांक से आगे बढ़ने के बाद ही वायु गुणवत्ता खतरनाक स्तर पर पहुंच जाती है।
पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में, पीएम 2.5 और पीएम10 का औसत स्तर क्रमश: 241 और 431 यूनिट बना हुआ है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, खतरनाक वायु गुणवत्ता की स्थिति तब पैदा होती है, जब पीएम2.5 250 से 300 के बीच और पीएम10 430 से 500 के बीच हो।
चांदनी चौक, द्वारका उपनगर, रोहिणी, आर.के.पुरम, नरेला, पंजाबी बाग 36 में से उन 18 जगहों में शामिल हैं, जहां खतरनाक वायु गुणवत्ता के साथ पीएम2.5 खराब स्तर तक पहुंच गया है।
गुरुग्राम, फरीदाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा में पूर्वाह्न् 11 बजे वायु गुणवत्ता खतरनाक स्तर पर था।