पार्टी चाहती है तो इस्तीफा देने को तैयार : सुखबीर बादल
चंडीगढ़, 28 अक्टूबर (आईएएनएस)| शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने रविवार को कहा कि यदि पार्टी चाहती है तो वह अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने को तैयार हैं।
सुखबीर का बयान ऐसे समय में आया है, जब कई वरिष्ठ नेताओं के पार्टी पदों से इस्तीफा देने के बाद उन पर दबाव बन गया है।
बादल ने अमृतसर में स्वर्ण मंदिर में मत्था टेकने के बाद मीडिया से बातचीत में संकेत दिया कि पार्टी के भीतर पैदा हुए गतिरोध को दूर करने के लिए नाराज वरिष्ठ नेताओं से जल्द ही संपर्क किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि शिअद पिछले एक महीने से एक आंतरिक संकट से जूझ रहा है। यह संकट वरिष्ठ नेताओं के पार्टी पदों से इस्तीफे के बाद पैदा हुआ है। इन नेताओं ने पार्टी को चलाने के सुखबीर के तरीके को चुनौती दी है।
इस्तीफा देने वालों में पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सदस्य सुखदेव सिंह ढींडसा, पूर्व सांसद रतन सिंह अजनाला और पूर्व मंत्री रंजीत सिंह ब्रह्मपुरा और सेवा सिंह सेखवान शामिल हैं।
इन वरिष्ठ नेताओं ने सुखबीर बादल और उनके साले व विधायक विक्रम सिंह मजीठिया की कार्यशैली के खिलाफ परोक्ष रूप से बगावत का झंडा बुलंद कर रखा है। बादल और मजीठिया ही पार्टी के सभी निर्णय लेते हैं।
सुखबीर ने कहा, “पार्टी जो चाहे, उसे करना मेरा कर्तव्य है। यदि पार्टी चाहती है तो मैं इस्तीफा देने को तैयार हूं।”
वरिष्ठ नेता इस बात से नाराज हैं कि सुखबीर बादल के नेतृत्व में पार्टी ने विवादस्पद संत और डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को अकाल तख्त से माफी दिलाई, जिसे दुष्कर्म के दो मामलों में दोषी ठहराया जा चुका है और 20 साल कारावास की सजा सुनाई गई है।
ये नेता वर्ष 2015 में गुरुग्रंथ साहिब को अपवित्र करने के मामले से निपटने के तत्कालीन शिअद सरकार के तरीके का भी विरोध किया है, जिसके कारण सिख संगठनों के विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस गोलीबारी में अक्टूबर 2015 में दो लोगों की मौत हो गई थी।
इस मामले के एक जांच आयोग ने हाल ही में शिअद सरकार की पुलिस को गोलीबारी के लिए जिम्मेदार ठहराया था।
वरिष्ठ नेताओं ने पांच बार मुख्यमंत्री रह चुके प्रकाश सिंह बादल सहित बादल परिवार पर आरोप लगाया है कि अकाली दल को एक परिवार की कंपनी की तरह चलाया जा रहा है।
वर्ष 1920 में स्थापित शिअद देश में कांग्रेस के बाद दूसरी सबसे पुरानी पार्टी है।
प्रकाश सिंह बादल (90) ने पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं को नजरअंदाज करते हुए पार्टी की कमान 2009 में अपने बेटे सुखबीर को सौंप दी थी।